अप्रैल से बदल जाएगा हाउसिंग, वाहन ऋण का आधार

Wednesday, Dec 05, 2018 - 04:55 PM (IST)

 

मुंबईः अगले साल 01 अप्रैल से फ्लोटिंग’ दर पर दिये जाने वाले आवास एवं वाहन ऋण जैसे सभी खुदरा कर्ज तथा निजी ऋणों के लिए ब्याज दर तय करने का आधार बदल जाएगा। रिजर्व बैंक के विकास एवं नियामक नीति संबंधी आज यहाँ जारी बयान में कहा गया है कि 01 अप्रैल 2019 से बैंकों को इन ऋणों की ब्याज दर उनके आंतरिक मानकों की बजाय बाहरी मानकों के आधार पर तय करना होगा। इसके लिए चार विकल्प दिए गए हैं। रिजर्व बैंक के रेपो दर, 91 दिन की सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज, 182 दिन की सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले ब्याज या ‘फाइनेंशल बेंचमार्क इंडिया लिमिटेड’ द्वारा तय किसी और मानक को आधार बनाते हुए बैंक ब्याज दर तय कर सकेंगे।

एक बार इनमें से किसी भी मानक के लिए ब्याज दर तय करने के बाद बैंकों को ऋण की पूरी अवधि तक उसी मानक में आये उतार-चढ़ाव के अनुरूप ब्याज दर में बदलाव करना होगा। ‘फ्लोटिंग’ ऋण के लिए मानक बदलने का यह फैसला डॉ. जनक राज की अध्यक्षता में गठित समिति की अनुशंसा के आधार पर किया गया है। समिति से बैंकों में वर्तमान में जारी मानक ‘सीमांत लागत आधारित दर’ (एमसीएलआर) के प्रभाव की समीक्षा करने के लिए कहा गया था। एमसीएलआर बैंक का आंतरिक मानक है जिस पर कार्यप्रणाली समेत बैंक के अन्य अंदरूनी कारकों का प्रभाव रहता है। यह ऋण के लिए बैंकों की लागत के आधार पर तय होता है।

समिति ने बैंकों के आंतरिक मानक की बजाय बाह्य मानक को आधार बनाने की सिफारिश की थी। आरबीआई ने बताया कि बैंक एक श्रेणी के सभी ऋणों के लिए चार में से किसी एक ही विकल्प को आधार बना सकते हैं। हालाँकि, अलग-अलग श्रेणी के लिए अलग-अलग आधार चुनने की छूट होगी। केंद्रीय बैंक ने बताया कि इसके बारे में अंतिम दिशा-निर्देश इस महीने के अंत तक जारी कर दिया जायेगा। इससे बैंकों के ऋण देने में पारदर्शिता आयेगी और उसका मानकीकरण हो सकेगा। साथ ही ग्राहकों के लिए ऋण उत्पादों को समझना भी आसान हो सकेगा।

Isha

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