क्या आपका घर ‘सुरक्षित’ है?

punjabkesari.in Sunday, Sep 18, 2016 - 03:48 PM (IST)

जालंधरः होम इंश्योरैंस यानी घर का बीमा व्यक्ति को कई तरह के सम्भावित जोखिमों से सुरक्षित कर देता है परंतु ऐसा तभी होगा जब आपने अपने घर के लिए उपयुक्त बीमा लिया हो। पेश है इसी संबंध में कुछ जरूरी सवालों के उत्तर:

क्या है होम इंश्योरैंस पॉलिसी? 
होम इंश्योरैंस आपके मकान तथा इसमें मौजूद साजो-सामान का बीमा होता है। यह एक तरह का सम्पूर्ण बीमा होता है जो बीमाकृत मकान को कई तरह के सम्भावित जोखिमों से नुक्सान होने पर उसकी भरपाई करता है। इनमें आग से होने वाले नुक्सान से लेकर चोरी तथा बिजली के उपकरणों की टूट-फूट होने जैसे जोखिम तक शामिल हो सकते हैं।

किराएदार क्या केवल सामान का बीमा करवा सकते हैं? 
हां, यदि कोई व्यक्ति किराए के मकान में रह रहा है, जिस पर उसका अपना स्वामित्व नहीं है तो उसके द्वारा करवाए जाने वाले बीमा के तहत केवल घर में मौजूद सामान को ही कवर किया जाता है। 

क्या भूकम्प तथा आतंकवाद जैसे जोखिम से सुरक्षा के लिए अतिरिक्त प्रीमियम अदा करना होगा?
भूकम्प तथा आतंकवाद आमतौर पर ‘एड ऑन  कवर’ होते हैं। यानी इनके कवरेज के लिए बीमा के साथ अलग से कवर लेना  होगा। इसे अपनी होम इंश्योरैंस पॉलिसी के  एक्सटैंशन के तौर पर ले सकते हैं जिसके लिए अतिरिक्त प्रीमियम अदा करना होता है। 

क्या ज्यूलरी तथा कलात्मक चीजें भी इस पॉलिसी में कवर होती हैं?
जब तक इंश्योरैंस कम्पनी इस संबंध में स्वीकृति न दे, आम होम इंश्योरैंस पॉलिसी में आभूषण, कलात्मक चीजें, पटकथाएं, दस्तावेजी जानकारी, कम्प्यूटर सिस्टम इंफॉर्मेशन, शेयर व स्टॉक तथा नकदी को कवर नहीं किया जाता है। इनको विशेष आग्रह करके कवर करवाया जा सकता है जो इनके मूल्यांकन पर निर्भर करता है।

‘फर्स्ट लॉस बेसिस’ से क्या तात्पर्य है?
इसका संबंध उस आंशिक बीमा से है जिसके तहत सम्पत्ति के मूल्य की तुलना में काफी कम रकम का बीमा किया जाता है। यह प्रावधान केवल चोरी या लूट के संबंध में किए जाने वाले इंश्योरैंस में दिया जाता है क्योंकि यह संभावना बहुत कम होती है कि चोरी होने पर एक साथ मकान की सभी चीजें चोरी हो जाएंगी।

उदाहरण के लिए यदि किसी विशाल रिटेल स्टोर में चोरी होती है तो स्टोर का सारा सामान चोर एक साथ नहीं ले जाएंगे। वहां से कुछ चीजें ही गायब होंगी और इन चीजों को ही ‘फस्र्ट लॉस इंश्योरैंस पॉलिसी’ में कवर किया जाता है। इस बीमा की रकम इस आधार पर तय की जाती है कि एक चोरी की वारदात में वहां पर कितना बड़ा नुक्सान होने की सम्भावना है।

‘अंडर इंश्योरैंस’ तथा ‘एवरेज क्लॉज’ का क्या अर्थ है? 
साधारण शब्दों में कहें तो ‘अंडर इंश्योरैंस’ की स्थिति तब पैदा होती है जब किसी चीज का बीमा उसके वास्तविक मूल्य से बहुत कम रकम का करवाया जाता है। ऐसा करने पर नुक्सान की स्थिति में उसकी पूरी भरपाई नहीं हो पाती है। इन परिस्थितियों में बीमा कम्पनी ‘एवरेज क्लॉज’ के तहत औसत के आधार पर दावे का निपटान कर सकती है। इसका अर्थ है कि जिन मामलों में इंश्योरैंस की रकम उपयुक्त न हो, वहां बीमा कम्पनी दावे की अपनी प्रतिबद्धता कम करने के लिए औसत निकालने की विधि का प्रयोग कर सकती है। 

मूल्यांकन प्रक्रिया 
अपने मकान तथा उसमें पड़े साजो-सामान की ‘इंश्योरेबल वैल्यू’ (जिस मूल्य का बीमा करवाया जा सकता है) कैसे पता की जा सकती है? इसके लिए अपने मकान की ‘रिप्लेसमैंट वैल्यू’ (दोबारा निर्माण या मुरम्मत की लागत) पता करनी होगी। इसका सबसे सटीक तरीका किसी बिल्डिंग कांट्रैक्टर या अन्य बिल्डिंग प्रोफैशनल की सेवा लेना है। आकलन करके वे आपको विस्तृत अनुमान प्रदान कर सकते हैं। केवल मकान की संरचना की लागत तथा इसके साथ जुड़े सिस्टम्स, फिक्सचर्स तथा फिनिश ही इस अनुमान में सम्मिलित होंगे। इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं होगी। 

मकान की संरचना का मूल्यांकन: मकान की संरचना के जिस मूल्य का बीमा करवाना चाहिए वह उसकी ‘रिप्लेसमैंट कॉस्ट’ होनी चाहिए। यह वह लागत है जो मकान को पहुंचे सम्भावित नुक्सान को ठीक करने, उसकी मुरम्मत या पुर्ननिर्माण पर आएगी। जब आप अपने मकान की ‘रिप्लेसमैंट वैल्यू’ का इंश्योरैंस करवाते हैं तो किसी तरह के नुक्सान की स्थिति में बीमा कम्पनी आपको उतनी रकम की भरपाई कर सकती है। 

घर के सामान का मूल्यांकन: अपने घर के साजो-सामान के मूल्यांकन के लिए एक-एक करके सभी कमरों में पड़ी चीजों की सूची बनाएं। किसी भी चीज को न छोड़ें, चाहे वह सोफा हो या पर्दे। किसी भी तरह के नुक्सान की हालत में इन सभी चीजों को बदलना होगा।इसके बाद सूची में शामिल हर चीज को बदलने पर कितनी लागत आएगी, इस बात का आपको आकलन करना है। इस संबंध में इंटरनैट से भी मदद मिल सकती है। भविष्य में मुद्रास्फीति या महंगाई को ध्यान में रखते हुए चीजों का मूल्य तय करके आप अपने घर के सारे सामान की ‘रिप्लेसमैंट वैल्यू’ पता लगा सकते हैं। 

यूं ही अपने घर के साजो-सामान के मूल्य का अंदाजा लगाने का प्रयास न करें। अध्ययनों से पता चला है कि बीमाकृत घरों में 5 में से 1 के पास उपयुक्त कवर नहीं होता है इसलिए मकान की संरचना की तरह ही उसमें मौजूद सभी सामान की ‘रिप्लेसमैंट वैल्यू’ का ही बीमा करवाना चाहिए।


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