अब देश भर में नहीं हो सकेगी ऑनलाइन दवा की बिक्री, दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रोक

punjabkesari.in Friday, Dec 14, 2018 - 12:00 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन दवा बेचने पर पूरे देश में रोक लगा दी है। कोर्ट के इस आदेश से जहां नेटमेड्स और 1 एमजी जैसी कंपनियों को झटका लगा है, वहीं लाखों खुदरा दुकानदारों को राहत मिली है। 

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मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने उस याचिका पर अंतरिम आदेश दिया जिसमें दवाओं की ऑनलाइन 'गैरकानूनी' बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई। अदालत ने इससे पहले इस याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन, भारतीय फार्मेसी परिषद से जवाब मांगा। अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए अगले साल 25 मार्च की तारीख तय की। डॉक्टर जहीर अहमद द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दवाओं की ऑनलाइन गैरकानूनी बिक्री से दवाओं के दुरुपयोग जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने ऑनलाइन दवा बेचने पर अंतरिम रोक लगाई थी। रोक लगने के बाद सबसे ज्यादा असर उन ई-कॉमर्स कंपनियों पर पड़ेगा, जो पूरे देश में ऑनलाइन दवा की बिक्री करती हैं। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने याचिका दायर कर कहा था कि खराब और बिना रेगुलेशन के दवा बेचने से आम लोगों के जीवन पर काफी खतरा मंडराता है। इसी को देखते हुए एसोसिएशन ने कोर्ट से मांग की थी कि ऑनलाइन फार्मेसी पर रोक लगा दी जाए।

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इसलिए हो रहा था विरोध
कुछ कंपनियों की भारत के दवा बाजार पर भी नजर है जो 12 अरब डॉलर यानी करीब 780 अरब रुपए का है। इसे लेकर दवा विक्रेताओं में नाराजगी देखने को मिल रही है। हाल में भारत के करीब साढ़े आठ लाख दवा विक्रेताओं ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के विरोध में एक दिन की हड़ताल की थी।

प्रिस्क्रिप्शन करना होता था अपलोड
अगर आप दवा ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो फिर आपको प्रिस्क्रिप्शन अपलोड करना होगा, इसे मंजूरी मिलते ही आप ऑनलाइन भुगतान कीजिए, दवा आपके घर तक पहुंच जाएगी। हालांकि, दवाइयों के खुदरा विक्रेता इसकी ऑनलाइन बिक्री का विरोध कर रहे हैं। हालांकि इन लोगों की अपनी खामियां भी हैं। खुदरा विक्रेता बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के भी दवाइयां बेचते रहे हैं। ऐसे में, सरकार के लिए दवाओं की बिक्री के बेहतर तौर तरीके तैयार करना जरूरी हो गया है।
 


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jyoti choudhary

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