नोटबंदी से गुजरात के आदिवासी बेहाल, आवश्यक चीजें भी हुई पहुंच से बाहर

Wednesday, Nov 23, 2016 - 03:02 PM (IST)

नई दिल्ली: जिला सहकारी बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक की 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बदलने की पाबंदी के चलते गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के आदिवासी दुग्ध उत्पादक और किसान बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ये आदिवासी बाजार से अपनी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं भी नहीं खरीद पा रहे हैं क्योंकि उन्हें उनकी ग्राम स्तरीय सहकारी दुग्ध संस्था से नकदी मिलना बंद हो गई है।

बड़ौदा दुग्ध डेयरी 'बड़ौदा डेयरी दुग्ध उत्पादक सहकारी सोसायटी' के निदेशक मंडल के एक निदेशक संग्राम सिंह राठवा ने कहा कि उन्होंने डेयरी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक से इस मामले को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के सामने उठाने को कहा है ताकि आदिवासियों को तत्काल उनका भुगतान किया जा सके।  उन्होंने कहा कि बड़ौदा दुग्ध डेयरी हर रोज छोटा उदयपुर जिले में 450 ग्राम स्तरीय दुग्ध उत्पादक सहकारी सोसायटियों से ढाई लाख लीटर दूध का संग्रहण करती है। इसमें कुल 45,000 आदिवासी दुग्ध उत्पादक एवं किसान सदस्य हैं।

राठवा ने कहा कि डेयरी इन सहकारी सोसायटियों के खाते में पहले ही 14 करोड़ रुपए जमा करा चुकी है। यह रकम छोटा उदयपुर जिले में बड़ौदा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की तीन शाखाओं में जमा कराई गई है ताकि इन सदस्य किसानों को भुगतान किया जा सके जो गरीब आदिवासी समुदायों से संबद्ध हैं। आदिवासियों के इन बैंक शाखाओं में बचत खाते नहीं हैं। इसकी वजह से वे बैंकों से नकदी निकासी नहीं कर सकते।

बड़ौदा दुग्ध डेयरी के एक अन्य निदेशक रंजीत सिंह राठवा ने कहा कि डेयरी हर महीने की 7, 14, और 21 तारीख को छोटा उदयपुर की इन दुग्ध सहकारी सोसायटियों को भुगतान करती है।  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोहन सिंह राठवा ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरूण जेटली से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा है कि वह रिजर्व बैंक से बड़ौदा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को इन गरीब आदिवासियों को तेजी से भुगतान करने के निर्देश देने के लिए कहें क्योंकि अभी स्थिति विकट हो चुकी है।’’  छोटा उदयपुर की आदिवासी आरिक्षत सीट से चार बार लोकसभा सांसद रहे नारायण भाई राठवा ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की। वह पूवर्वती संप्रग सरकार में रेल राज्य मंत्री भी थे।

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