गहनों के मेकिंग चार्ज पर GST का होगा विरोध

Wednesday, May 03, 2017 - 12:27 PM (IST)

नई दिल्लीः जूलरी और बुलियन बाजारों में इन दिनों हर कोई जी.एस.टी. की नई दरों को लेकर पसोपेश में है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि जहां सरकार सोने की बिक्री पर 2 से 4 फीसदी तक जी.एस.टी. लगा सकती है, वहीं गहनों की बनवाई को सर्विस मानते हुए इस पर 18 फीसदी तक टैक्स लगाया जा सकता है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन छोटे जूलरों को हो सकता है, जो सोना खरीदकर गहने बनवाते हैं। जूलर्स का का कहना है कि ऐसा हुआ तो इंडस्ट्री में एक्साइज विरोध से भी बड़ा आंदोलन हो सकता है।

दिल्ली बुलियन जूलर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट श्रीकृष्ण गोयल ने बताया कि मेकिंग चार्ज पर 18 फीसदी जी.एस.टी. की बात सुनने में आ रही है लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर सकती। इंडस्ट्री अब तक सोने पर अधिकतम 2 फीसदी तक टैक्स की सिफारिश करती रही है क्योंकि फिलहाल 1 फीसदी एक्साइज और लगभग इतने ही वैट के साथ 2 फीसदी टैक्स ही लगता है। चूंकि एक्साइज मेकिंग पर ही लगती है, ऐसे में इस पर 18 फीसदी टैक्स का विरोध होगा।

फेडरेशन ऑफ नोएडा जूलर्स असोसिएशन के चेयरमैन एस के जैन ने कहा कि अगर मेकिंग चार्ज पर 18 फीसदी टैक्स लगा तो अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट वाले जूलर्स को तो कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन बाहर से गहने बनवाने वाले लाखों जूलर्स सड़कों पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा, 'मैं जो सोना खरीदूंगा, उस पर दिया गया 2 फीसदी जी.एस.टी. तो ग्राहक से वसूल लूंगा लेकिन मेकिंग चार्ज पर 18 फीसदी जी.एस.टी. का क्या होगा। 15 फीसदी की मेकिंग कॉस्ट के बाद 18 फीसदी का अतिरिक्त बोझ ग्राहक पर भी नहीं डाला जा सकता।'

ऑल इंडिया जेम्स एंड जूलर्स ट्रेड फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन बच्छराज बमालवा ने कहा कि जी.एस.टी. में 2 फीसदी से ज्यादा रेट इंडस्ट्री अफोर्ड नहीं कर सकती। एक साल पहले तक जूलर्स को सिर्फ स्थानीय सेल्स टैक्स (वैट) देना होता था लेकिन पिछले साल से 1 फीसदी एक्साइज ड्यूटी भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंपोर्ट पर स्थिति अभी साफ नहीं है। कुल मिलाकर जी.एस.टी. का बोझ मौजूदा करों से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

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