मुफ्त उपलब्ध होने वाली बैंकिंग सेवाओं पर पड़ेगी GST की मार, ग्राहकों पर बढ़ेगा बोझ

Sunday, Dec 02, 2018 - 10:14 AM (IST)

नई दिल्ली: खाताधारकों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाने वाली कई बैंकिंग सेवाओं को सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के दायरे में लाने की तैयारी में है। यानी अब बैंकिंग सेवाओं पर जी.एस.टी. की मार पड़ेगी। सूत्रों के अनुसार जी.एस.टी. को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) समेत निजी क्षेत्र के 2 सबसे बड़े बैंक आई.सी.आई.सी.आई. और एच.डी.एफ.सी. बैंक कर का यह बोझ ग्राहकों के कंधे पर डालने की तैयारी में हैं।

शुल्क विभिन्न बैंकों में अलग-अलग होगा
इंडियन बैंकर्स एसोसिएशन के सी.ई.ओ. वी.जी. खन्ना का कहना है कि ज्यादातर बैंक जी.एस.टी. के बोझ को अपने ग्राहकों पर डालने पर विचार कर रहे हैं। एक तरह से यह कर का सीधा-सीधा हस्तांतरण होगा। ग्राहकों से कर वसूल कर सरकार के पास जमा करा दिया जाएगा। ग्राहकों से इन सेवाओं के लिए कितना शुल्क लिया जाएगा, यह विभिन्न बैंकों में अलग-अलग होगा। साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि मुफ्त सेवाओं का मूल्यांकन किस तरह किया जाता है।

चैक बुक के लिए भी देना पड़ सकता है शुल्क
बैंक एक सीमा से अधिक जमा राशि खाते में रखने वाले ग्राहकों को एस.एम.एस. अलर्ट और सैलरी अकाऊंट जैसे कुछ खातों पर कई सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराता है। इस फैसले से ए.टी.एम., डैबिट और क्रैडिट कार्ड तथा चैक बुक जैसी सेवाओं के लिए अब ग्राहकों को शुल्क देना पड़ सकता है। बैंकों की ओर से उपलब्ध कराई गई सेवाओं पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. भी देना होगा। पिछले महीने कर विभाग ने करीब 19 बैंकों को नोटिस जारी कर ग्राहकों को दी गई मुफ्त सेवाओं के लिए 40,000 करोड़ रुपए का सेवा कर चुकाने के लिए कहा था।

Isha

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