जीएसटी परिषद की बैठक टली, 2-3 दिसंबर को होगी अगली बैठक

Thursday, Nov 24, 2016 - 11:18 AM (IST)

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर करदाताओं के प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार और राज्यों के बीच आम राय न बनने की वजह से जीएसटी काउंसिल की 25 नवंबर को प्रस्तावित बैठक टल गई है। काउंसिल की अगली बैठक अब 2-3 दिसंबर को होगी।

ड्राफ्ट को दे सकते हैं अंतिम रूप 
हालांकि केंद्र और राज्यों के अधिकारी 25 नवंबर को बैठक कर सीजीएसटी, आइजीएसटी और जीएसटी क्षतिपूर्ति विधेयकों के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देंगे। माना जा रहा है कि सरकार इस सप्ताह के अंत तक इन विधेयकों के ड्राफ्ट आम लोगों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक कर सकती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि असेसी पर प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर अब तक आम राय बनने के कारण बैठक टली है। अब इसकी जगह अधिकारियों की बैठक होगी। माना जा रहा है कि अधिकारियों की इस बैठक में शायद दोहरे नियंत्रण पर चर्चा न हो क्योंकि इस पर जीएसटी काउंसिल ही निर्णय करेगी। लेकिन इस बैठक में जीएसटी, सीजीएसटी और जीएसटी क्षतिपूर्ति विधेयकों के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि जीएसटी काउंसिल उन पर मुहर लगा सके।

ठोस समाधान न मिलने पर टाला गया बैठक को
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी काउंसिल के सदस्यों की अनौपचारिक बैठक के बाद केंद्र और राज्यों के अधिकारियों ने लगातार दो दिन तक बैठक की, हालांकि इन बैठकों में भी कोई ठोस समाधान नहीं निकला, इस वजह से 25 नवंबर की काउंसिल की बैठक को टालने का फैसला किया गया। जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष वित्त मंत्री अरुण जेतली की अध्यक्षता में 20 नवंबर को काउंसिल के सदस्यों ने अनौपचारिक बैठक कर दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर राजनीतिक तौर पर आम राय बनाने की कोशिश की थी लेकिन यह अधूरी रही और किसी परिणाम पर नहीं पहुंच सकी।

25 या 26 नवंबर को किए जा सकते हैं ड्राफ्ट सार्वजनिक
सूत्रों का कहना है कि सरकार केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और समेकित जीएसटी (आइजीएसटी) के ड्राफ्ट जनता की प्रतिक्रिया के लिए 25 या 26 नवंबर को सार्वजनिक कर सकती है। इन विधेयकों के अधिकांश प्रावधानों पर केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति बन चुकी है, सिर्फ दोहरे नियंत्रण का मुद्दा ही बचा है। राज्य सरकारें जीएसटी असेसी के क्षैतिज वितरण की वकालत करते हुए 1.5 करोड़ रुपए तक के सालाना कारोबार वाले वस्तु और सेवाओं के असेसीज पर नियंत्रण चाहते हैं। केंद्र को यह मंजूर नहीं है। केंद्र का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर सेवाकर के सभी मौजूदा असेसी केंद्र के पास ही रखे जाएं क्योंकि राज्यों को सेवाओं पर टैक्स वसूलने का अभी कोई अनुभव नहीं है। केंद्र सरकार जीएसटी लागू होने पर असेसीज के लंबवत (वर्टिकल) वितरण की पक्षधर है जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच असेसी एक अनुपात के आधार पर बांट दिए जाएं।
 

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