GST बिल घोटालाॉः सैंट्रल एक्साइज के अफसर बोले जब समय होगा तब देखेंगे मामला

Wednesday, Feb 07, 2018 - 01:19 PM (IST)

लुधियाना: हम सैंट्रल एक्साइज विभाग के अफसर हैं, जब समय होगा तब जी.एस.टी. के बिलों बारे बात करेंगे। यह धौंस भरे शब्द सैंट्रल एक्साइज के कमिश्नर आशुतोष ने जी.एस.टी. के जाली बिलों के खेले जा रहे अरबों रुपए के खेल के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहे। 

केंद्र सरकार ने हर स्टेट में जी.एस.टी. के रजिस्टर्ड डीलर के कुछ अकाऊंट को स्टेट सेल टैक्स व कुछ अकाऊंट को सैंट्रल एक्साइज में बांटा है। इसके बावजूद स्टेट सेल टैक्स तो हरकत में आ गया, लेकिन सैंट्रल एक्साइज के अधिकारी अपने दफ्तरों से बाहर निकलने को तैयार नहीं।  अरबों के हो रहे घोटालों के प्रति गम्भीर न होने के कारण तमाम सैंट्रल एक्साइज विभाग पर सवालिया निशान लग गया है कि आखिर अधिकारी इन सब मामलों को हल्के में क्यों ले रहे हैं। यहां बता दें कि ऐसे कड़क स्वभाव वाले अफसरों के कारण पूरा नजला केंद्र सरकार की कारगुजारियों पर गिरता है। सवाल यह भी है कि कमिश्नर स्तर के अधिकारी आखिर मीडिया को कोई जानकारी देने से क्यूं कतराते हैं। 

जांच करने की बजाय दबा दिया मामला
मलौट से एक व्यापारी सतनाम सिंह ने लेड में हो रही जाली बिलों की शिकायत लिखित में डिप्टी कमिश्नर लक्ष्य गुप्ता को की थी, लेकिन उन्होंने जांच करने की बजाय मामले का दबा दिया। यही नहीं उक्त व्यापारियों ने बताया कि जो ऑफिसर उनके पास इंक्वायरी करने आए थे उन्होंने भी छानबीन में पाया कि जाली बिलों का खेल खेला जा रहा है। परंतु डिप्टी कमिश्नर ने रूटीन मैटर बताकर उन अधिकारियों की ट्रांसफर करा दी। पिछले सप्ताह जब इस बारे लक्ष्य गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने भी पहले कमिश्नर की तरह धौंस दिखाई, फिर उसे जब कहा गया कि आप जैसे अधिकारी को ऐसे बात करना शोभा नहीं देता तो वह इतना कहकर फोन रखकर निकल पड़े कि मामले की जांच करेंगे। आज भी जब लक्ष्य गुप्ता को फोन कॉल, व्हाट्स एप व एस.एम.एस. किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

उसके बाद विभाग के कमिश्नर आशुतोष से जानना चाहा तो वह डिप्टी कमिश्नर गुप्ता से भी धौंस दिखाने में चार कदम आगे दिखे। उन्होंने कहा कि हम कमिश्नर हैं जब समय होगा तब मामले को देखेंगे। उनसे पूछा गया कि लुधियाना कब आए हैं और कहां रह रहे हैं तो वह इस बात पर भड़क गए। उनके इस रवैये से ऐसा साबित हुआ कि जैसे उनके किसी गुप्त मसले पर हाथ रख दिया हो। ज्ञात हो कि हाल ही में कानपुर में तैनात आई.आर.एस. संसार चंद को जो जी.एस.टी. का ही मामला देख रहे थे उन्हें रिश्वत के केस में सी.बी.आई. ने पकड़ा है।  वह अपने निचले अधिकारियों के साथ मिलकर रिश्वत का पूरा रैकेट चला रहे थे। अब सवाल यह है कि क्या सरकार ने अधिकारियों को इसीलिए इतने बड़े पद पर बिठाया है कि वह अपनी जिम्मेदारी की बात सुनते ही आग बबूला हो जाएं।

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