वैडिंग सीजन पर GST और नोटबंदी की मार

Tuesday, Oct 24, 2017 - 09:35 AM (IST)

नई दिल्ली: पिछले साल वैडिंग सीजन में हुई नोटबंदी और 1 जुलाई से लागू हुए जी.एस.टी. की मार इस बार भी शादियों के सीजन पर पड़ेगी। नवम्बर में शादियों का सीजन शुरू हो रहा है। इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम ने कहा कि शादी के लिए हॉल व गार्डन बुकिंग, टैंट बुकिंग, फोटोग्राफी जैसी सर्विसेज पर नोटबंदी और जी.एस.टी. का 10 से 15 प्रतिशत असर होगा।

10-15 प्रतिशत होगा असर
एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी और जी.एस.टी. के कारण ज्यूलरी और अन्य सामान, फोटोग्राफी, मैरिज हॉल जैसी सर्विसेज पर पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। जी.एस.टी. के कारण कई गुड्स और सर्विसेज की कीमतें बढ़ने से शादी पर औसत खर्चा ज्यादा होगा। शादी से जुड़ी कई सर्विसेज पर जी.एस.टी. रेट 18 से 28 प्रतिशत तक है जो जी.एस.टी. लागू होने से पहले कम था। जी.एस.टी. से पहले ऐसी कई सर्विसेज पर कोई टैक्स नहीं देना होता था क्योंकि कई काम अनरजिस्टर्ड बिल्स पर होते थे। वैडिंग सैक्टर में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले डैस्टीनेशन वैडिंग या देश के वैडिंग टूरिज्म पर नोटबंदी और जी.एस.टी. का कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

उधार में भी हो रही मुश्किल
अधिकतर लोग शादी के समय ज्यादा कैश न होने के कारण ग्रोसरीज और अन्य सामान उधार खरीदते हैं जिसे बाद में चुकाते रहते हैं लेकिन जी.एस.टी. के कारण ट्रेडर्स उधार सामान देने से हिचक सकते हैं।

क्या-क्या हुआ है महंगा
500 रुपए से ज्यादा की कीमत के फुटवीयर्स पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगता है। सोने और हीरे के आभूषणों पर टैक्स 1.6 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत हो चुका है। फाइव स्टार होटल्स की बुकिंग पर भी 28 प्रतिशत जी.एस.टी. देना होगा। इवैंट मैनेजमैंट सर्विस पर भी 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लगेगा। मैरिज हॉल बुकिंग या गार्डन बुकिंग जैसी सर्विसेज पर भी 18 प्रतिशत जी.एस.टी. देना होगा।

गोवा के बीच और राजस्थान के किले पहली पसंद
एसोचैम ने बताया कि भारत में गोवा के बीच और राजस्थान के किले डैस्टीनेशन वैडिंग के लिए पहली पसंद रहते हैं। विदेश में शादी करने की इच्छा रखने वालों की पहली पसंद बाली और दुबई हैं। भारत की वैडिंग इंडस्ट्री सालाना 25 से 30 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर रही है।

शादी पर इतना करते हैं खर्च
एक अनुमान के मुताबिक भारत में एक औसत व्यक्ति शादी पर अपनी कुल दौलत का 5वां हिस्सा खर्च करता है। नवम्बर में शादी की तैयारी कर बैठे कई परिवार बजट बढऩे के बाद अब अपने खर्चों पर फिर से नजर डाल बजट कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

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