GST के बाद मुनाफाखोर रेस्तरांओं पर कस सकता है शिकंजा

Sunday, Nov 19, 2017 - 04:48 AM (IST)

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) दर में बड़ी कटौती के बाद रेस्तरांओं द्वारा मैन्यू प्राइस बढ़ाने को लेकर गंभीर दिख रही सरकार मुनाफाखोरी विरोधी प्रावधानों पर शिकंजा कसने की कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। हालांकि रेस्तरां लागत बढऩे पर कीमत बढ़ाने को आजाद हैं लेकिन ज्यादातर रेस्तरांओं का कहना है कि कीमतों में हालिया वृद्धि टैक्स दर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत करने और इनपुट टैक्स क्रैडिट खत्म किए जाने के जी.एस.टी. काऊंसिल के फैसले की वजह से की गई। 

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर इनपुट टैक्स क्रैडिट खत्म होने की वजह से कीमतें इतनी बढ़ गई हैं तो जुलाई में जी.एस.टी. लागू होने के बाद इसी अनुपात में दाम घटने भी चाहिए थे। यह एंटी-प्रॉफिटियरिंग एक्शन (मुनाफाखोरी के विरुद्ध कार्रवाई) का बिल्कुल उचित मामला है। अधिकारी ने कहा कि कानून में सरकार को शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ स्वत: संज्ञान लेने की भी अनुमति मिली हुई है। अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि मुनाफाखोरी का मामला साबित हो गया तो हम उन पर अधिकतम संभावित जुर्माना लगाएंगे। 

इनपुट टैक्स क्रैडिट खत्म किए जाने से बढ़ सकते हैं मैन्यू प्राइस
मैकडोनाल्ड्स और स्टारबक्स से लेकर डोमिनोज पिज्जा तक कई फूड चेन्स बेस प्राइस बढ़ा चुकी हैं जबकि के.एफ.सी. जैसी चेन्स अगले हफ्ते दाम बढ़ाने की तैयारी में हैं। संगठित क्षेत्र के पक्षकार नैशनल रैस्टोरैंट्स एसोसिएशन ऑफ  इंडिया (एन.आर.ए.आई.) का अनुमान है कि इनपुट टैक्स क्रैडिट खत्म किए जाने से मैन्यू प्राइसेज में 6 से 7 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके उलट उसने सरकार से कहा कि जी.एस.टी. से महज 1 प्रतिशत रैस्टोरैंट्स को ही फायदा हुआ था। दूसरे एसोसिएशंस ने जी.एस.टी. काऊंसिल के फैसलों का स्वागत किया है लेकिन एन.आर.ए.आई. मैंबर्स इसे चुनौती देने का मन बना चुकी हैं। इससे सरकार और एसोसिएशन के बीच की लड़ाई तेज होने की संभावना है। 

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