ब्रांडेड वस्त्र कम्पनियों पर अभी भी GST का असर

Friday, Dec 01, 2017 - 11:32 AM (IST)

मुम्बई : ब्रांडेड वस्त्र निर्माता और खुदरा विक्रेता जुलाई से लागू कर सुधारों यानी वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के असर से अब तक भी उबर नहीं पाए हैं। इन कर सुधारों का सीधा असर हुआ था क्योंकि जी.एस.टी. के बाद बोझ पडऩे से पूरी वस्त्र शृंखला अनिश्चित स्थिति में थी। बाद में उपभोक्ताओं के रुझान पर भी असर पड़ा और निर्यात में गिरावट से हालात बद से बदतर हो गए।

बड़े भागीदारों के सितम्बर तिमाही के परिणामों ने इसे दर्शाया है और विशेषज्ञों का मानना है कि इनके लिए अच्छे दिन अब भी दूर हैं। 1,000 रुपए से ऊपर की कीमत वाले ब्रांडेड वस्त्रों पर 12 प्रतिशत का जी.एस.टी. लगता है और इस सीमा से नीचे वाले वस्त्रों पर 5 प्रतिशत। इस कर की वजह से खुदरा विक्रेताओं ने उपभोक्ताओं को कम कीमत वाले वस्त्रों की ओर रुख करते देखा। स्थापित कंपनियों को इस नई कर व्यवस्था का पालन करना था और वे कर से बचने के लिए नकदी में सौदे नहीं करती हैं।

अक्तूबर में निर्यात 41 प्रतिशत गिरा
क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ  इंडिया के अध्यक्ष राहुल मेहता ने कहा कि उपभोक्ताओं के कमजोर रुख, निर्यात में तेज गिरावट और कई कम्पनियों में नकदी की कमी के परिणामस्वरूप कुछ और महीनों तक ब्रांडेड वस्त्र निर्माता कम्पनियों पर दबाव बने रहने की संभावना है। उन्हें लग रहा है कि इन कम्पनियों के लिए वित्त वर्ष 18 बेकार हो गया है। अक्तूबर में निर्यात 41 प्रतिशत गिरा है और शुल्क संबंधी खामियों का लाभ खत्म होने के कारण जी.एस.टी. के बाद भी यही प्रवृत्ति नजर आई है तथा रुपए का मूल्य कुछ कम होने से भी मदद नहीं मिली है। 
 

Advertising