GST: टैक्स इंसैंटिव पर भ्रम से निर्यातक परेशान

Saturday, Sep 16, 2017 - 12:23 PM (IST)

मुम्बई: निर्यातकों का कहना है कि पिछले टैक्स सिस्टम में मिलने वाले फायदों के जी.एस.टी. के तहत जारी रहने को लेकर भ्रम की स्थिति और इनपुट क्रैडिट के असैसमैंट से जुड़े सवालों के कारण वे परेशान हैं। उनका कहना है कि वैश्विक बाजार का हाल पहले से ढीला-ढाला होने और रुपए में मजबूती आने के बीच इस नई परेशानी से उनके कारोबार पर असर पड़ रहा है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि कुछ निर्यातकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि निर्यात के लिए पीक सीजन से पहले इन मामलों पर स्थिति साफ की जाए।

इन हालात में निर्यातक अमरीका और यूरोपीय संघ के लिए भेजे जाने वाले माल का दाम तय नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि इसके चलते आगामी तिमाही में निर्यात प्रभावित हो सकता है। फॉरेन ट्रेड पॉलिसी 2015-2020 में एक्साइज ड्यूटी और सॢवस टैक्स जैसे पहले के करों के आधार पर कई इंसैंटिव्स का प्रावधान है। निर्यातकों ने कहा कि जी.एस.टी. के तहत इनमें बदलाव की उम्मीद की गई थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। कुछ टॉप निर्यातकों की सलाहकार डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम.एस. मणि ने कहा कि निर्यातकों को मिलने वाले इंसैंटिव्स पर सरकार को स्थिति तत्काल साफ करनी चाहिए क्योंकि जी.एस.टी. के तहत उनकी टैक्स देनदारी बदल गई है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि रैवेन्यू सैक्रेटरी हसमुख अधिया की अध्यक्षता में गठित समिति अपनी सिफारिशें जल्द देगी ताकि पीक एक्सपोर्ट सीजन से पहले निर्यातकों के सामने स्थिति साफ हो सके और वे उसके मुताबिक योजना बना सकें।

अमरीका और यूरोप में क्रिसमस के दौरान बिक्री बढ़ती है तथा निर्यातकों को पक्का करना होता है कि सितम्बर या कम से कम अक्तूबर में उनका माल वहां पहुंच जाए। मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा कि यह वक्त का तकाजा है क्योंकि एफ.टी.पी. का मकसद माल का निर्यात करना है, न कि उन वस्तुओं को बनाने और उनकी खरीद से जुड़े करों का। उन्होंने कहा कि चूंकि जी.एस.टी. की दरें पहले के इनडायरैक्ट टैक्स की दरों जैसी नहीं हैं और चूंकि निर्यातकों को खरीद पर कोई छूट नहीं मिलती, लिहाजा निर्यात समुदाय दुविधा में है कि इंसैंटिव्स में बढ़ौतरी होगी या कमी या वे जस के तस रहेंगे।

Advertising