GST: कठिनाइयां कम, सरलता अधिक

Wednesday, Jul 12, 2017 - 11:55 AM (IST)

नई दिल्ली: जी.एस.टी. को लेकर बहुत शोर मचा हुआ है लेकिन इस सबके बीच छोटे कारोबारी राहत की सांस महसूस कर रहे हैं। व्यापारियों में उत्साह है और जिन लोगों ने जी.एस.टी. में रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं कराया था वे अब इसके माध्यम से जुड़ रहे हैं। अगले तीन महीने तक रजिस्ट्रेशन विंडो फिर से खुली रहेगी। 25 जून के बाद से 3.68 लाख कारोबारियों ने जी.एस.टी. में पंजीकरण कराया है। एक अनुमान के मुताबिक रोजाना लगभग 30 हजार करदाता जी.एस.टी. की ओर मुड़ रहे हैं।

नई कर प्रणाली के प्रति उत्साह नजर आ रहा है कारोबारियों में 
कारोबारियों व सरकारी आफिशियल्स की मानें तो जी.एस.टी. के साथ ही देश में अप्रत्यक्ष कर देने वालों और जी.एस.टी. से जुड़ने वालों के बीच जो अंतर नजर आ रहा था वह इसके लागू होने के साथ ही खत्म होता नजर आ रहा है। यही वजह है कि छोटे कारोबारियों का एक बड़ा वर्ग जी.एस.टी. में तबदील होता नजर आ रहा है। एक धारणा यह भी बनी हुई थी कि जो लोग जी.एस.टी. में पंजीकरण कराएंगे उनके कारोबारी लेन-देन की जानकारी जाहिर हो जाएगी और उन्हें और अधिक इंकम टैक्स देना होगा, लेकिन यह धारणा खत्म होती नजर आ रही है। कुछ दिक्कतें आ सकती हैं लेकिन इसके बावजूद कामकाज में ज्यादा परेशानी नहीं होती नजर आ रही है।

क्या कहना है कारोबारियों का
आटोमोबाइल पाटर्स का कारोबार करने वाली कंपनी सियाराम ब्रदर्स के नितिन गुप्ता का कहना है कि वैट से जी.एस.टी.एन. में चले जाने की प्रक्रिया बिल्कुल भी कठिन नहीं है। इसमें केवल 10 मिनट लगते हैं। 30 करोड़ सालाना का धंधा करने वाली इस कंपनी को नई सीधी कर प्रणाली में आने में जरा भी दिक्कत महसूस नहीं हुई। बाबा कंम्प्यूटर्स के गोविंद कुमार और सी.ए. फर्म (मित्तल संदीप एंड एसोसिएट्स) के संदीप मित्तल ने भी इसमें सहमति जताई है। इनका कहना है कि जी.एस.टी. रजिस्ट्रेशन बहुत ही सरल है। दोनों ही कंपनियां टैली आधारित साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही हैं। अब इसका जी.एस.टी. वाला वर्जन यूज में लाया जाएगा।

लाखों की संख्या में इससे जुड़ रहे हैं छोटे व्यापारी 
आंकड़ों की बात करें तो देश में मौजूद 81 लाख करदाताओं में से 68 लाख तो पहले ही जी.एस.टी.एन. में जा चुके हैं। इसके अलावा 2 लाख नए करदाता और सामने आए हैं। इससे पहले करदाताओं के एक बड़े वर्ग को पहले केंद्र (एक्साईज, इंपोर्ट ड्यूटी, सर्विस टैक्स आदि के लिए) व राज्य (वैट के लिए) में अलग-अलग पंजीकरण कराना पड़ता था। जी.एस.टी. ने इस दोहरी व्यवस्था को खत्म कर दिया है। 

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