टेक कंपनियों से जुड़े ग्रुप ने ट्रंप प्रशासन से H-1B वीजा को मंजूरी देने की उठाई मांग

Saturday, Nov 10, 2018 - 01:47 PM (IST)

वॉशिंगटनः अटके हुए एच-1 बी वीजा आवेदनों की संख्या में अचानक बड़ा इजाफा देखा गया है। यह बात गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट जैसी टॉप आईटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने कही है। कॉम्पीट अमेरिका नाम के इस संगठन का कहना है कि अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी अपने दायरे के बाहर जाकर काम कर रही है। बता दें कि भारत की ओर से भी अमेरिका के समक्ष एच-1 बी वीजा के आवेदनों को मंजूरी देने की मांग उठाई जाती रही है। यदि ट्रंप सरकार इस मांग को मान लेती है तो भारत और चीन जैसे देशों को बड़ा लाभ होगा। 

कॉम्पीट अमेरिका ने होम लैंड सिक्यॉरिटी के मंत्री कर्स्टजेन नीलसन और युनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप ऐंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के डायरेक्टर फ्रांसिस सिसना को चिट्ठी भेजकर कहा है कि मौजूदा (ट्रंप) प्रशासन में एंप्लॉयर्स को एच1बी पर कई समस्याएं आ रही हैं। USCIS की नीति, प्रक्रिया और काम को लेकर स्थिति साफ नहीं है। इमिग्रेशन एजेंसी अपने दायरे से बाहर जाकर भी काम कर रही है। 

पिछले 18 महीनों में एच1बी आवेदनों पर ज्यादा सबूत मांगकर उन्हें लटकाया जा रहा है। वहीं ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह एच-4 वीजाधारक पति या पत्नी को कार्य करने की मंजूरी रद्द करने के मामले में जनता से राय लेगा। 

'कुशल पेशेवरों को ही वीजा देने के पक्ष में ट्रंप' 
ट्रंप प्रशासन आईटी पेशवरों में लोकप्रिय एच-1बी वीजा के वर्तमान प्रावधानों में कुछ बदलाव करना चाहता है ताकि इसके तहत सिर्फ बेहद कुशल विदेशी पेशेवरों को वीजा मिल सके। यह आउटसोर्सिंग का तरीका बनकर न रह जाए। वाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि राष्ट्रपति का मानना है कि बेहद कुशलता वाले क्षेत्र जैसे कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने वाले लोग देश में रुकें। 

jyoti choudhary

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