सरकार की इच्छा, ONGC अहमदाबाद में गोल्फ कोर्स बेचे, पर उसमें तेल कुएं होने से कंपनी परेशान

Sunday, Jul 14, 2019 - 04:52 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार की इच्छा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) गुजरात के अहमदाबाद और वडोदरा स्थित अपने गोल्फ कोर्स बेच दे। सरकार की इस मंशा से कंपनी परेशान है क्योंकि उनमें से एक में उसके उत्पादन वाले तेल कुएं हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति विभाग (दीपम) ने केंद्रीय लोक उपक्रमों के गोल्फ कोर्सों और स्पोर्ट्स क्लबों को ‘गैर-प्रमुख' संपत्ति में वगीकृत किया है और उसे बाजार पर चढ़ाना चाहता है। दीपम ने सरकारी विभागों के साथ-साथ केंद्रीय लोक उपक्रमों के गैर-प्रमुख संपत्ति के आकलन के क्रम में ओएनजीसी के अहमदाबाद और वडोदरा में दो गोल्फ कोर्स की पहचान की है। इसके अलावा विभाग ने भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के मुंबई के चेम्बुर स्थित स्पोर्ट्स क्लब को चिन्हित किया है। 

सूत्रों के अनुसार दीपम ने केवल उन्हीं संपत्तियों की पहचान की है जो रियल एस्टेट संभावना के हिसाब से प्रमुख शहरों में हैं। विभाग ने गुजरात के अंकलेश्वर तथा आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी स्थित ओएनजीसी के गोल्फ कोर्स को छोड़ दिया है। विभाग ने आयल इंडिया लि. के असम स्थित गोल्फ कोर्स और ओएनजीसी के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित गोल्फ कोर्स को भी चिन्हित नहीं किया है। वैसे तो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के कार्यकारी खाली समय में गोल्फ खेलने और अपने कारोबारी सहयोगियों की मेजबानी के लिए गोल्फ कोर्स का उपयोग करते हैं पर ओएनजीसी ने दो दशक पहले शहर में तेल भंडार का पता लगाने के बाद कुएं के आसपास के क्षेत्र को अतिक्रमण से बचाने के लिए गोल्फ कोर्स बनाया था।

अहमदाबाद में मोटेरा फील्ड की खोज के बाद ओएनजीसी तेल कुओं के आसपास शहर के विकास के कारण अतिक्रमण को लेकर चिंतित थी। इसीलिए उसने कुओं के आसपास गोल्फ कोर्स बनाया। सूत्रों ने कहा कि दीपम ने जिस गोल्फ कोर्स की पहचान की है, उसमें दो उत्पादक तेल कुएं हैं। फील्ड नामांकन आधार पर आबंटित है, अत: नियमों के अनुसार ओएनजीसी उसे नहीं बेच सकती या किसी बाहरी को नहीं दे सकती। दीपम के संदेश से कंपनी परेशान है। क्योंकि गोल्फ कोर्स की बिक्री का मतलब है कि खरीदार के पास दो तेल कुएं भी जाएंगे जबकि नियमों के अनुसार इसकी अनुमति नहीं है। हाल में दीपम, नीति आयोग और पेट्रोलियम मंत्रालय तथा अन्य विभागों के अधिकारियों की बैठक में ओएनजीसी तथा बीपीसीएल की गैर-प्रमुख संपत्तियों को बाजार में बेचने की मंजूरी दी गई। इससे प्राप्त राशि संबंधित कंपनियों को जाएगी न कि सरकारी खजाने में। इसका मकसद सार्वजनिक क्षेत्र में संसाधनों का सही उपयोग करना है।

jyoti choudhary

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