सरकार ने गेहूं और तुअर पर लगाया 10% आयात शुल्क

Tuesday, Mar 28, 2017 - 01:23 PM (IST)

नई दिल्‍लीः केंद्र सरकार ने गेहूं और तुअर पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। यह शुल्‍क तुरंत लागू हो गया है। इस साल गेहूं की पैदावार अधिक होने की संभावना के चलते कीमतों में गिरावट न आए और किसानों को उचित भाव मिले, इसे देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है। पिछले साल सरकार ने 3 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्‍य रखा था लेकिन खरीद महज 2.3 करोड़ टन ही पाई थी। इस बार 3.3 करोड़ टन का गेहूं खरीद का लक्ष्‍य रखा गया है। उत्तर भारत में 1 अप्रैल से खरीद शुरू होगी। मध्‍य प्रदेश में हो चुकी है।      

सरकार ने मौजूदा साल में गेहूं खरीद के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) 1625 रुपए प्रति‍ क्विंटल तय कि‍या है। पिछले साल के मुकाबले एमएसपी में 100 की बढ़ौतरी इस साल की गई थी। पिछले साल उत्‍पादन कम होने के चलते सरकार खरीद का लक्ष्‍य भी पूरा नहीं कर पाई थी। सरकार ने गेहूं उत्‍पादन का चौथा अनुमान साल 2016-17 के लिए 9.3 करोड़ टन रखा है। वहीं, मौजूदा फसल वर्ष 2017-18 के लिए 9.6 करोड़ टन रखा है। इंडस्‍ट्री ने पिछले साल गेहूं उत्‍पादन का अनुमान 8.6 करोड़ टन जताया था। घरेलू बाजार में गेहूं के दाम 1650-1750 रुपए प्रति क्विंटल तक हैं। जबकि, इंटरनैशनल मार्कीट में भाव 150 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं।

क्‍यों बढ़ाई आयात शुल्क?
- गेहूं की नई फसल आ रही है और आयात से इसका कीमतों पर असर न हो और किसानों को अच्‍छी कीमत मिल सके, इसके लिए सरकार ने गेहूं पर एमएसपी लगाने का फैसला किया है। इससे पहले नवंबर 2016 में गेहूं से आयात शुल्क पूरी तरह खत्‍म कर दी गई थी। उस समय यह निर्णय घरेलू बाजार में गेहूं की तेजी से बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए किया गया था। पिछले साल खुले बाजार में गेहूं 2450 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था। 
- दलहन किसान एमएसपी से नीचे फसल बेचने पर मजबूर हो रहे थे। देश में कुल करीब 2.6 करोड़ टन दालों की खपत होती है। घरेलू डिमांड पूरी करने के लिए आयात करना पड़ता है। पिछले साल करीब 58 लाख टन दालें आयात की गई थी। आयात अभी भी जारी है लेकिन मौजूदा समय में उत्‍पादन अधिक होने के चलते कीमतों नीचे न आए और किसानों को मौजूदा और आने वाले खरीफ सीजन में अच्‍छा भाव मिले, इसके लिए तुअर पर आयात शुल्क लगाई गई है।
- इंडियन पल्‍सेस एंड ग्रेन एसोसिएशन ने पिछले दिनों सरकार ने दालों पर आयात शुल्क लगाने की मांग की थी।

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