साल 2017 में बैंकिंग सेक्‍टर में हुए ये बड़े बदलाव, सुधारों को और आगे बढ़ाने पर रहेगा जोर

Thursday, Dec 28, 2017 - 03:39 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है। इसके अलावा सरकार का इरादा गैर निष्पादित आस्तियों (एन.पी.ए.) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढ़ाया जा सके। फिलहाल ऋण की वृद्धि दर 25 साल के निचले स्तर पर चली गई है। सरकार ने इस साल अक्तूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि डालने की घोषणा की थी। बैंकों में यह पूंजी दो साल के दौरान डाली जाएगी।

बैंकों के NPA में बढ़त
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एन.पी.ए. जून, 2017 में ढाई गुना से अधिक बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपए पर था। बैंकों को दिए जाने वाले 2.11 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में से 1.35 लाख करोड़ रुपए पुनर्पूंजीकरण बांडों के जरिए डाले जाएंगे। वित्त मंत्रालय जल्द पुनर्पूंजीकरण बांडों के तौर तरीके की घोषणा करेगा। बैंकों में पूंजी डालने का काम इतना आसान नहीं होगा। पूंजी डालने के साथ बैंकों के बोर्ड को भी मजबूत किया जाएगा तथा डूबे कर्ज का निपटान भी जरूरी होगा। साथ ही बैंकों के मानव संसाधन के मुद्दों को भी सुलझाना होगा, जिससे भविष्य में जिम्मेदारी पूर्ण बैंकिंग को आगे बढ़ाया जा सके।

रोजगार सृजन पर रहेगा जोर
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एम.एस.एम.ई.), वित्तीय समावेशन तथा रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मजबूती के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त में वैकल्पिक व्यवस्था (एएम) के तहत बैंकों के एकीकरण को सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी। पिछले महीने वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो बैंकों के एकीकरण के प्रस्तावों की समीक्षा करेगी। बैंकों के एन.पी.ए. पर काबू के लिए सरकार ने इस साल दो अध्यादेश बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 जारी किए हैं।

बड़े डिफाल्टरों की सूची तैयार
भारतीय रिजर्व बैंक की आंतरिक सलाहकार समिति ने 12 ऐसे बड़े दबाव वाले खातों की पहचान की है, जिन्हें दिवाला एवं शोधन संहिता के तहत भेजा जाना है। इन खातों पर बकाया कर्ज 5,000-5,000 करोड़ रुपए से अधिक है। यह सकल गैर निष्पादित आस्तियों 1.75 लाख करोड़ रुपए का 25 प्रतिशत बैठता है। रिजर्व बैंक ने इस साल अगस्त में बड़े डिफाल्टरों की दूसरी सूची जारी कर बैंकों को 28 बड़े खातों का निपटान 13 अगस्त तक करने या 31 दिसंबर तक उन्हें राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) के पास दिवाला प्रक्रियाओं के लिए भेजने को कहा था। इन 28 खातों पर बकाया कर्ज कुल बकाया का 40 प्रतिशत या चार लाख करोड़ रुपए है। इस साल बैंकिंग क्षेत्र की एक अन्य प्रमुख बात भारतीय महिला बैंक और सहायक बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में विलय रहा। इससे एसबीआई दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में आ गया।     

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