जेनरिक दवाओं के नाम लिखने को अनिवार्य करेगी सरकार

Friday, May 12, 2017 - 04:23 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार आम लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सकों से ब्रांडेड दवाओं के साथ जेनरिक दवाएं लिखने को अनिवार्य बनाएगी।

उर्वरक एवं रसायन मंत्री अनंत कुमार ने आज संवाददाता सम्मेलन में अपने मंत्रालय के तीन साल की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि मेडिकल कांउसिल आफ इंडिया ने 21 अप्रैल को सभी चिकित्सकों से ब्रांडेड दवाओं के साथ साथ जेनरिक दवाएं भी लिखने का अनुरोध किया है। जेनरिक दवाओं के नाम अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखे जाएंगे। इसका उल्लंघन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी गई है।

सरकारी राजस्व में होगी बढ़ौतरी
कुमार ने कहा कि 18 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने केन्द्र सरकार के सभी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से जेनरिक दवाएं लिखने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही राज्यों से भी जेनरिक दवाओं के लिखने को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है। उन्होंने कहा कि 13 राज्यों के सरकारी अस्पतालों में लोगों को नि:शुल्क दवाएं दी जाती है और वह वहां के मुख्यमंत्रियों से ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनरिक दवाएं देने के लिए बातचीत करेंगे। इससे सरकारी राजस्व की भी बचत होगी।

मान्यता प्राप्त कंपनियों से ही खरीदी जाएंगी दवाएं 
रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा निर्माता भारतीय और विदेशी कंपनियों को ब्रांडेड दवओं के नाम के नीचे जेनरिक दवाओं के नाम मोटे मोटे अक्षरों में लिखने का आदेश दिया है। कुमार ने कहा कि देश में 10000 दवा बनाने वाली कंपनियां हैं जिनमें से 1400 कंपनियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है और ये दवाओं का निर्यात भी करती है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त कंपनियों से ही दवाएं खरीदी जाएगी जो गुणवत्तापूर्ण होगी। देश में सालाना दो लाख करोड रूपये के दवा कारोबार है। इसमें एक लाख करोड़ रूपए की दवा का घरेलू खपत है जबकि एक लाख करोड रूपए की दवाओं का 215 देशों को निर्यात किया जाता है। दवा उद्योग की वृद्धि दर सालाना 20 से 21 प्रतिशत है। 

Advertising