सरकार जानना चाहती है आपकी ऑनलाइन शॉपिंग की डीटेल्स

Tuesday, Jun 13, 2017 - 12:02 PM (IST)

नई दिल्लीः अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और इस चीज के शौकीन है तो आपको सरकार को उसकी डीटेल देनी होगी।अगले महीने से सरकार अपने एक्सपेंडिचर सर्वे में पहली बार लोगों के ई-कॉमर्स खर्च के बारे में पूछेगी। नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) अगला कन्ज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे जुलाई में शुरू कर रहा है और यह जून 2018 तक चलेगा।

हर साल होता है ये सर्वे
देश भर में यह सर्वे हर साल होता है। इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कमोडिटी और सर्विसेज पर खर्च के पारिवारिक स्तर के आंकड़े जुटाए जाते हैं। इस सर्वे से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सरकारी डेटा मैनेजरों का मानना है कि ई-कॉमर्स पर खर्च इस लेवल पर पहुंच गया है कि उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। वे इसे नैशनल इकनॉमिक डेटाबेस में शामिल करना चाहते हैं।

ई-कॉमर्स सेक्टर में हो रही बढ़ोतरी
रेडसीयर कंसल्टिंग की स्टडी के मुताबिक, 2016 में देश का ई-कॉमर्स सेक्टर 14.5 अरब डॉलर का था, जबकि देश में सालाना रिटेल स्पेंडिंग करीब 750 अरब डॉलर की है। ई-कॉमर्स सेक्टर अभी बहुत छोटा है, लेकिन इसमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। अमेरिका बेस्ड मार्केट रिसर्च कंपनी फॉरेस्टर का मानना है कि 2021 तक कुल रिटेल सेल्स में एशिया पैसिफिक का योगदान 25 पर्सेंट होगा। अभी ऑनलाइन रिटेल मार्केट में एशियाई देशों में चीन सबे बड़ा है, लेकिन भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

सर्वे में 5,000 शहरी ब्लॉक्स और 7,000 गांव शामिल
नैशनल एक्सपेंडिचर सर्वे में 5,000 शहरी ब्लॉक्स और 7,000 गांवों के करीब 1.2 लाख घरों को शामिल किया जाएगा। इससे स्टेट लेवल डेटा भी मिलेगा। सरकारी डेटा मैनेजर यह भी जानना चाहते हैं कि क्या ऑनलाइन प्राइसेज से महंगाई दर पर असर पड़ सकता है। अभी देश में ऑनलाइन कॉमर्स इतना बड़ा नहीं है कि देश भर में कीमतों पर उसका अधिक असर हो। अधिकारियों ने बताया कि अभी जो सर्वे होगा, उससे पता चलेगा कि ऑनलाइन रिटेल प्राइसिंग का भविष्य में महंगाई इंडेक्स पर क्या असर हो सकता है।  

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