बैंकों की सेहत सुधारने के लिए सरकार का बड़ा कदम

Saturday, May 06, 2017 - 12:41 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 2 बड़े सरकारी बैंकों के सीईओ का तबादला किया। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि सरकार को लग रहा था कि ये अधिकारी अपने बैंकों की सेहत सुधारने की पर्याप्त कोशिशें नहीं कर रहे थे। इसके अलावा सरकार ने बैड लोन के भार से जूझ रहे कुछ सरकारी बैंकों में 5 नए एमडी और चीफ एग्जिक्युटिव अधिकारी (सीईओ) भी अपॉइंट किए हैं। सरकार की ओर से यह आदेश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा बैड लोन (NPA) के बोझ को काबू में करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के कुछ ही देर बाद आया।

नियुक्‍त हुए बैंकों के एमडी और सीईओ 
सरकारी बैंकों के प्रबंधन में सुधार की प्रक्रिया के तहत सरकार ने पंजाब नैशनल बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ ऊषा अनंथासुब्रमण्यन को उनके पद से हटाकर इलाहाबाद बैंक भेज दिया है। इसी तरह, बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख मेलविन रेगो को सिंडिकेट बैंक शिफ्ट कर दिया गया है। पिछले महीने IDBI बैंक के एमडी और सीईओ केपी खरत को इंडियन बैंक भेजकर उनकी जगह एमके जैन को लाया गया था।

शुक्रवार शाम आए नोटिफिकेशन में बताया गया है कि कॉर्पोरेशन बैंक के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर सुनील मेहता पीएनबी चीफ के तौर पर अनंथासुब्रमण्यन की जगह लेंगे, जबकि कैनरा बैंक के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर दीनबंधु महापात्र बैंक ऑफ इंडिया में मेलविन रेगो की जिम्मेदारी संभालेंगे। इंडियन ओवरसीज बैंक के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर सुब्रमनिया कुमार को बैड लोन से निपटने का ईनाम दिया गया है। उनका कद बढ़ाते हुए उन्हें एमडी और सीईओ बना दिया गया है। उधर ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर राजकिरण राय का तबादला यूनियन बैंक में एमडी के तौर पर किया गया है।

बड़े बैंकों में सुधार की प्रक्रिया तेज
इसके पहले इन बैंकों में प्रमुख का पद ऐसे अनुभवी बैंकरों को दिया जाता था जो छोटी जगहों से प्रमोट होकर आते थे लेकिन अब बड़े बैंकों में सुधार की प्रक्रिया को तेजी से लागू करने के लिए अपेक्षाकृत 'युवा' बैंकरों को यह जिम्मेदारी दी जा रही है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'कुछ बैंकों के प्रमुख अपना काम ठीक से नहीं कर रहे थे। वे 2-3 साल तक यूं ही खाली बैठे रहते हैं और कोई भी फैसला नहीं लेते। ऐसे में इसका असर बैंक पर पड़ता है।'

शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किए गए अध्यादेश की जानकारी देने के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेतली ने संकेत दिया था कि सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के कामकाम के तरीके से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, 'इस ऐक्ट के पीछे मंशा यह है कि मौजूदा स्थिति को बदलना है। ऐसी स्थिति हमेशा नहीं बनी रह सकती।'
 

Advertising