सरकार का अक्षय ऊर्जा पर रहा जोर, पर शुल्क, बुनियादी ढांचा लागत चुनौती

Saturday, Dec 22, 2018 - 10:29 AM (IST)

नई दिल्लीः पर्यावरण संबंधी चिंता के बीच सरकार का नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर बना रहा और इस साल अक्टूबर तक अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 73,000 मेगावाट के पार हो गई लेकिन शुल्क की ऊंची दरें और महंगी ढांचागत सुविधा 2018 में चुनौती रही। उद्योग चाहता है कि नए साल में इन मुद्दों का समाधान हो। 

सरकार का जहां आने वाले वर्ष में हरित ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर होगा वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए शुल्क, रक्षोपाय शुल्क, जीएसटी पर स्पष्टता से जुड़े मुद्दों के समाधान की जरूरत है। साथ ही 2022 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता 1,75,000 मेगावाट पहुंचाने के लिए 5.12 लाख करोड़ रुपए के बड़े निवेश की आवश्यकता होगी। 

बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा, ''हरित बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में हमारा प्रयास निरंतर जारी है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लडऩे में हम एक प्रभावी भागीदार हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आने वाली पीढ़ी के लिए यह दुनिया बेहतर बनी रहे।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को उच्च प्राथमिकता मिली है। पर्यावरण संरक्षण, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा तथा अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन बनाने में अहम भूमिका को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र ने प्रधानमंत्री को 'चैंपियन्स आफ द अर्थ अवार्ड' से सम्मानित किया।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के अनुसार देश में स्थापित संचयी अक्षय ऊर्जा क्षमता इस साल 31 अक्टूबर तक 73,350 मेगावाट पहुंच गई। वहीं 21,550 मेगावाट विकास के विभिन्न चरण में हैं जबकि 25,210 मेगावाट की परियोजनाएं बोली के विभिन्न चरणों में हैं। कुल मिलाकर 1,20,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता में से कुछ परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं और कुछ स्थापित होने वाली हैं तथा कछ बोली प्रक्रिया के अंतर्गत हैं। इसके साथ प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए भारत ने पवन ऊर्जा के लिए सबसे कम 2.43 रुपए प्रति यूनिट तथा सौर ऊर्जा के 2.44 रुपए प्रति यूनिट शुल्क हासिल किया।
 

jyoti choudhary

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