खोखा कंपनियों के खिलाफ सख्ती की तैयारी

Saturday, Feb 11, 2017 - 01:45 PM (IST)

नई दिल्ली: देश में खोखा या मुखौटा कंपनियों के गोरखधंधे के खिलाफ सख्ती की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने गड़बड़ी करने वाली एेसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कार्यबल गठित किया है। सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी करने में लिप्त एेसी कंपनियों के बैंक खाते जब्त करने और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने का भी निर्णय किया है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा आज की गई एक समीक्षा के बाद गठित कार्यबल में विभिन्न मंत्रालयों और प्रवर्तन एजेंसियों के सदस्य रखे गए हैं। इसका नेतृत्व राजस्व और कारपोरेट मामलों के सचिव करेंगे।

15 लाख कंपनियां हैं पंजीकृत
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, ‘‘देश में करीब 15 लाख कंपनियां पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से छह लाख ही अपना वार्षिक विवरण जमा कराती हैं। इसका अर्थ है कि इनमें बहुत सी कंपनियां वित्तीय अनियमिताओं में लिप्त हैं।’’ कंपनी के मंत्रालय के तहत आने वाले गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईआे) ने 49 खोखा कंपनियों के खिलाफ मामले दायर किए हैं। इन मामलों में 3,900 करोड़ रुपए का कथित रूप से धनशोधन किया गया है। इन मामलों में 559 लोगों ने 54 पेशेवरों की मदद से गड़बडिय़ां की। नोटबंदी के बाद खोखा और सुप्त कंपनियों के खाते में 1238 करोड़ रुपए की नकद जमा के संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं।

बैंक खाते किए जाएंगे जब्त 
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, ‘‘गड़बडिय़ों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ बेनामी लेन-देन (निरोधक) संशोधित अधिनियम-2016 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। एेसी कंपिनयों के बैंक खाते जब्त किए जाएंगे और सुप्त कंपनियों का पंजीकरण खत्म किया जाएगा।’’ संबंधित विनियामक मंत्रालयों को खोखा कंपनियों के कारोबार की फर्जी प्रविष्टियां तैयार करने में सहायक पेशेवरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।

निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा
बयान के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि खोखा कंपनियों की पहचान के लिए ‘कुछ संकेतक’ इस्तेमाल किए जाएंगे और एेसी कंपनियों के निदेशकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा और इसमें विभिन्न एजेंसियों की मदद ली जाएगी। इसमें संबंधित व्यक्तियों की आधार पहचान संक्या का भी डाटाबेस तैयार किया जाएगा। बैठक में खासकर नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ अभियान के संदर्भ में खोखा कंपनियों की कारिस्तानी की समीक्षा की गई।  आयकर विभाग भी नियमों में कमी का फायदा उठाकर फर्जी कंपनियों के जरिए कर से बचने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने में लगा हुआ है। 

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