5G नेटवर्क के ट्रायल से चीनी कंपनियों को दूर रखना भारत सरकार का अच्छा फैसलाः अमेरिका

Wednesday, May 12, 2021 - 02:25 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत द्वारा हाल में चीनी कंपनियों हुवावेई और जेडटीई के बिना 5जी परीक्षणों को करने के फैसले को अमेरिका ने एक संप्रभु निर्णय कहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका उन उपकरणों के साथ नेटवर्क स्थापित करने के खतरों को लेकर अत्यधिक चिंतित है, जिन्हें चीन द्वारा बाधित या नियंत्रित किया जा सकता है। 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को कहा, "यह भारत सरकार द्वारा एक संप्रभु निर्णय था, इसलिए हमारा मानना है कि इस बारे में आपको भारत सरकार से ही कोई टिप्पणी लेनी चाहिए।'' उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन मैं अधिक व्यापक रूप से कह सकता हूं कि यह सही है कि हम ऐसे उपकरणों पर आधारित नेटवर्क के खतरों को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें पीआरसी (पीपुल्स रिपल्बिक ऑफ चाइन) नियंत्रण या बाधित कर सकता है।'' 

चीन के योगदान से देश की सुरक्षा को खतरा
उन्होंने कहा कि हुवावेई या जेडटीई जैसे गैर-भरोसेमंद दूरसंचार आपूर्तिकर्ताओं को अनुमति देने में राष्ट्रीय सुरक्षा, निजता और मानवाधिकारों से जुड़े जोखिम शामिल हैं। दूरसंचार विभाग ने 4 मई को 5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी दी थी, हालांकि इसमें कोई भी कंपनी चीनी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करेगी। दूरसंचार विभाग ने रिलाइंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और एमटीएनएल के आवेदनों को मंजूरी दी है। इनमें से कोई भी कंपनी चीनी कंपनियों की तकनीक का उपयोग नहीं कर रही है। 

चीन ने जताया अफसोस
दूरसंचार विभाग ने 5जी परीक्षण के लिए स्वीकृत दूरसंचार गीयर विनिर्माताओं की सूची में एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग, सी-डॉट और रिलायंस जियो की स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। इसका का मतलब है कि चीनी कंपनियां 5जी परीक्षणों का हिस्सा नहीं होंगे। दूरसंचार विभाग का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि केंद्र सरकार देश में शुरू होने वाली 5जी दूरसंचार सेवाओं में चीनी कंपनियों को हिस्सा लेने से रोक सकती है। चीन ने अपनी कंपनियों को भारत में 5जी ट्रायल में हिस्सा लेने की मंजूरी न देने के सरकार के फैसले पर अफसोस जताया है। 

jyoti choudhary

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