सरकारी उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 में सुधार आने की उम्मीद: CII

Sunday, Dec 29, 2019 - 06:48 PM (IST)

नई दिल्लीः उद्योग एवं वाणिज्य संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को कहा कि वैश्विक व्यापारिक तनावों में कमी आने के साथ ही सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा उठाए गए कदमों से 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद है। सीआईआई ने इसके साथ ही लचीली राजकोषीय नीति का भी सुझाव दिया जिसके तहत केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के लिए लक्ष्य में 0.5 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत का दायरा तय किया जाना चाहिए। उसने कहा कि इसका अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होगा। 

सीआईआई के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि हम नए साल में प्रवेश करने वाले हैं और अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि अर्थव्यवस्था बीत रहे साल की तुलना में बेहतर स्थिति में पहुंच रही है। उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक और सरकार द्वारा उठाए गए अनुकूल कदमों को देखते हुए उद्योग जगत का मानना है कि नरमी से निपट लिया जाएगा और जल्दी ही क्रमिक सुधार शुरू हो जाएगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के बेहतर होने, विमान यात्रियों की संख्या बढ़ने तथा यात्री कारों की बिक्री में जारी गिरावट में कमी की शुरुआत होने समेत सुधार के कई संकेत दिख रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की खराब वृद्धि दर देखने को मिल सकती है लेकिन इसके बाद सुधार आने लगेगा। 

सीआईआई के अनुसार, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से जुड़ी शुरुआती दिक्कतें ठीक होने लगी हैं। उद्योग जगत को इससे अर्थव्यवस्था को ठीक-ठाक लाभ होने की उम्मीद है। संगठन ने कहा कि 2019 को एक ऐसे साल के रूप में याद किया जाएगा जब वित्त क्षेत्र में साफ-सफाई का काम तेज हुआ। इसके कारण अल्पकालिक दिक्कतें आईं लेकिन अल्पावधि से मध्यम अवधि तक इसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा। सीआईआई का मानना है कि वृद्धि में सुधार के साथ ही अब समय आ गया है कि विस्तारवादी राजकोषीय नीति अपनाई जाए। 

सीआईआई के नामित अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति के मध्यम अवधि के लक्ष्य की तरह ही हम लचीली राजकोषीय नीति अपना सकते हैं जिसमें केंद्र सरकार के तय राजकोषीय घाटे के लिए 0.5 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत का दायरा रखा जाना चाहिए। कोष की अतिरिक्त उपलब्धता को महत्वपूर्ण बुनियादी संरचना परियोजनाओं पर खर्च किया जाना चाहिए। इसका अर्थव्यवस्था पर बहुगुणक असर होगा।'' सीआईआई ने कहा कि कर दायरा बढ़ाने तथा इसके बेहतर अनुपालन के लिए जीएसटी दर की संख्या घटाने और इसे सरल करने तथा इसका दायरा बढ़ाने की जरूरत है। 
 

jyoti choudhary

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