बैंकों में पूंजी डालने की योजना सिर्फ लघु अवधि समाधानः बैंक कर्मचारी संगठन

Saturday, Oct 28, 2017 - 11:24 AM (IST)

नई दिल्लीः बैंक कर्मचारी यूनियनों ने सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने इसे लघु अवधि के लिए राहत करार दिया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सरकारी बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालने की घोषणा की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इसके साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों को भी आगे बढ़ाया जाएगा ताकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।

आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (ए.आई.बी.ई.ए.) के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह स्वागतयोग्य कदम है, क्योंकि बैंकों के पास पूंजी की कमी है। इस अतिरिक्त पूंजी से वे और कर्ज दे पाएंगे, लेकिन सिर्फ इससे ही बैंकों की समस्या हल नहीं होगी।’’ एसोसिएशन देशभर के विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि सभी बैंक डूबे कर्ज के बढ़ते बोझ को झेल रहे हैं। ‘‘अभी तक बैंकों का कुल डूबा कर्ज आठ लाख करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है। यदि इसमें पुनर्गठित कर्ज को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह राशि 15 लाख करोड़ रुपए बैठेगी।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ज्यादातर डूबा कर्ज कंपनियों और जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के हिस्से का है। ‘डूबे कर्ज की वजह से बैंकों को अपने मुनाफे में से इसके लिए ऊंचा प्रावधान करना पड़ रहा है और उनका लाभ घट रहा है।’’ उन्होंने कहा कि अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराना लघु अवधि का समाधान है। इसका दीर्घावधि का समाधान डूबे कर्ज की वसूली ही होगा।     

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