नामित निदेशकों को हटाने पर सरकार का इनकार, RBI ने की थी मांग

Monday, Aug 20, 2018 - 10:17 AM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल में नियामक के नामित सदस्यों को हटाने की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार का मानना है कि बैंकों पर जब फंसा कर्ज काफी ज्यादा है और बैंकिंग क्षेत्र कई तरह की धोखाधड़ी से जूझ रहा है, ऐसे समय में नियामक को बोर्ड में अपने सदस्यों के जरिए सार्वजनिक बैंकों के परिचालन की निगरानी जारी रखनी चाहिए।

सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय की ओर से पिछले महीने आरबीआई को पत्र भेजकर सरकार के निर्णय से अवगत करा दिया गया है।’ आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल ने इस साल जून में कहा था कि हितों के टकराव से बचने के लिए सार्वजनिक बैंकों के बोर्ड में केंद्रीय बैंक के नामित नहीं होने चाहिए। वर्तमान में सभी सार्वजनिक बैंकों के निदेशक मंडल में आरबीआई के नामित सदस्य होने जरूरी हैं। हालांकि वैधानिक बाध्यता नहीं होने के चलते आरबीआई ने निजी बैंकों से काफी पहले ही अपने नामितों को हटा लिया है।

आरबीआई को भेजे पत्र में सरकार ने नियामक के नामित को हटाए जाने के अनुरोध को अस्वीकार करने की कोई वजह नहीं बताई है। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि इस दिशा में कदम बढ़ाने का अभी उपयुक्त समय नहीं है। पटेल ने वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष जून में कहा था कि केंद्रीय बैंक वित्त मंत्रालय से सार्वजनिक बैंकों के बोर्ड में नामित सदस्यों की नियुक्ति की व्यवस्था खत्म करने पर बात कर रहा है। उन्होंने कहा था, ‘किसी भी तरह के हितों के टकराव से बचने के लिए आरबीआई के नामित निदेशकों को बोर्ड की प्रबंधन समिति से अलग रहना चाहिए और आरबीआई को सार्वजनिक बैंकों के बोर्ड में नामित सदस्य नियुक्त नहीं करने चाहिए।’ पटेल ने स्थायी समिति को लिखित जवाब में कहा था कि बैंक बोर्ड नामित निदेशकों सहित सभी निदेशकों की मुख्य भूमिका बैंक की दक्षता एवं पेशेवर तरीके से परिचालन प्रबंधन सुनिश्चित करना होता है।

पटेल से पहले गवर्नर रहे रघुराम राजन ने भी अगस्त 2016 में इसी तरह की मांग की थी। उन्होंने कहा था, ‘आरबीआई को विशुद्घ रूप से नियामकीय भूमिका में रहना चाहिए और बैंक के बोर्ड से अपने प्रतिनिधियों को हटाना चाहिए, लेकिन इसके लिए कानून में बदलाव की जरूरत होगी।’ राजन के समय भी आरबीआई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर विशेष मामलों को छोडक़र नामित निदेशकों को हटाने की अनुमति मांगी गई थी। इसी तरह आरबीआई ने सरकार को निदेशक नियुक्त करने की सिफारिश की थी, जो सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी हो सकते हैं। हालांकि संकट में फंसे बैंक या विशेष मामलों में आरबीआई बैंक के बोर्ड में एक से अधिक निदेशक नामित कर सकता है। 
 

Supreet Kaur

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