भ्रष्टाचार घटाकर विदेश में जमा काले धन को वापस ला सकती है सरकार

punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2020 - 10:33 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार यदि देश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार घटाए तो विदेश में जमा काले धन को आसानी से भारत वापस लाया जा सकता है। यह संकेत ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल की चेयरपर्सन डेलिया फेरीरा रुबियो ने दिया। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यू.ई.एफ,) की एक रिपोर्ट के मुताबिक रुबियो ने पिछले महीने दावोस में हुए विश्व आर्थिक मंच में कहा कि सबसे भ्रष्ट देशों का काला धन सर्वाधिक स्वच्छ व पारदर्शी माने जाने वाले देशों में जमा होता है। विश्व आर्थिक मंच का सालाना सम्मेलन दावोस में 21 से 24 जनवरी 2020 को हुआ था। रुबियो ने कहा कि भ्रष्ट देशों का काला धन पारदर्शी देशों में बैंकों में या संपत्ति व विलासिता के रूप में पहुंचता है।

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पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना अधूरा है कोई भी लोकतंत्र
इसी सम्मेलन में बोत्सवाना के राष्ट्रपति मोगवित्सी एरिक कीबेत्स्वे मासिसि ने कहा कि भ्रष्टाचार की विरुद्ध लड़ाई एक ऐसी लड़ाई है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता। ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल के ताजा भ्रष्टाचार सूचकांक में बोत्सवाना को 61 अंकों के साथ 180 देशों की सूची में 34वां रैंक मिला है। बोत्सवाना उप सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में सर्वाधिक सफल देशों में माना जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी लोकतंत्र पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना अधूरा है।

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भ्रष्टाचार सूची में 2 पायदान फिसलकर 80वें पर आया भारत
ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल की 2019 की ताजा भ्रष्टाचार सूची में भारत 2 पायदान फिसलकर 80वें रैंक पर आ गया है। 2018 की सूची में भारत को 78वां रैंक मिला था। दोनों ही वर्ष भारत को 41 अंक मिले। ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल ने 2019 की भ्रष्टाचार सूची 23 जनवरी 2020 को जारी की थी। 2019 की ताजा सूची में 180 देशों की रैंकिंग की गई है। पहली रैंकिंग वाला देश सर्वाधिक पारदर्शी है और आखिरी यानी 180वीं रैंकिंग वाला देश सर्वाधिक भ्रष्ट है।

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भारत में भ्रष्टाचार का कारण है अपारदर्शी राजनीतिक फाइनैंसिंग व लॉबिंग
ट्रांसपेरैंसी इंटरनैशनल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और आस्ट्रेलिया जैसे लोकतांत्रिक देशों में भी अनुचित और अपारदर्शी राजनीतिक फाइनैंसिंग के कारण अपारदर्शिता की स्थिति है। इसके अलावा रिपोर्ट में निर्णय प्रक्रिया में अनुचित दबाव, शक्तिशाली कॉर्पोरेट हित समूहों द्वारा की जाने वाली लॉबिंग को भी अपारदर्शिता के लिए जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनके कारण भ्रष्टाचार घटाने में बड़ी सफलता नहीं मिल रही है। यही नहीं स्थिति पहले से खराब ही हुई है।


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jyoti choudhary

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