डेयरी और बागवानी क्षेत्र में कदम रख सकती है गुडरिक

Tuesday, Sep 06, 2016 - 04:06 PM (IST)

कोलकाताः बढ़ती लागत और घटती कमाई ने प्रमुख चाय कंपनी गुडरिक डेयरी और बागवानी क्षेत्र के कारोबार को में उतर सकती है। कंपनी इन खंडों में संभावनाओं का अध्ययन कर रही है। गुडरिक की योजना पश्चिम बंगाल में अपने चाय बागानों में से एक में डेयरी स्थापित करने और अन्य बागानों में बागवानी के लिए कृषि करने की है। यह दूध, मक्खन और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों के लिए योजना बना रही है। डेयरी और बागवानी उत्पादों का निर्यात करने की इसकी कोई योजना नहीं है। गुडरिक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एएन सिंह ने कहा, ''चाय उद्योग बुरी दशा में है और हमें दूसरे कारोबार करने की जरूरत है। हम बागवानी पर भी ध्यान दे रहे हैं।''

 

कंपनी का राजस्व 2015-16 में 11.43 प्रतिशत बढ़कर 658.75 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि 2014-15 में यह 591.18 करोड़ रुपए था। हालांकि इसके खर्चों में भी इजाफा हुआ है और यह पिछले साल के 543.24 की तुलना में 2015-16 में 14.87 प्रतिशत बढ़कर 624.02 करोड़ रुपए हो गया। 2015-16 में कंपनी ने 32 लाख रुपए का घाटा दर्ज किया है जबकि 2014-15 में यह 12.42 करोड़ रुपए था।

 

पश्चिम बंगाल भू सुधार अधिनियम, 1955 चाय की खेती के लिए बागानों के इस्तेमाल को सीमित करता है। सिंह ने कहा, ''एक बार अधिनियम में संशोधन हो जाए, तो हम परियोजना पर काम करना शुरू कर देंगे।'''' इंडियन टी एसोसिएशन'' बागानों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने वाले कानून में संशोधन के लिए पश्चिम बंगाल और असम सरकारों से बात कर रही है। हालांकि गुडरिक की असम में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति है जहां योग्यता के आधार पर दूसरे कारोबार के लिए अनुमति प्राप्त करना ज्यादा आसान है लेकिन कंपनी अपने नए कारोबार के लिए पश्चिम बंगाल में योजना तैयार कर रही है। असम डूअर्स इंवेस्टमेंट और वेस्टर्न डूअर्स इंवेस्टमेंट के जरिए ब्रिटेन की कैमेलिया प्लैंक गुडरिक में 74 प्रतिशत शेयर रखती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुडरिक को चाय खंड में कारोबार करने के लिए लाइसेंस प्रदान किया हुआ है और अन्य क्षेत्रों में कारोबार के लिए इसे अलग से अनुमति लेनी पड़ेगी।

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