आम्रपाली होमबायर्स के लिए अच्छी खबर, इस तारीख तक मिल जाएंगे फ्लैट्स

Friday, Feb 23, 2024 - 10:35 AM (IST)

नई दिल्ली: आम्रपाली प्रोजेक्ट के हजारों होमबायर्स के लिए अच्छी खबर है। आम्रपाली के सभी प्रोजेक्ट 31 मार्च 2025 तक तैयार हो जाएंगे। नैशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (NBCC) ने इसकी डेडलाइन तय कर दी है। दिल्ली में गुरुवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में NBCC ने बताया कि उन्हें आम्रपाली में 38 हजार फ्लैट तैयार करने थे, जिसमें से 16 हजार तैयार कर दिए हैं। बाकी बचे 22 हजार फ्लैट अगले एक साल में तैयार कर दिए जाएंगे। इस दौरान आम्रपाली के कोर्ट रिसीवर आर वैंकट रमानी ने कहा कि अब फंड की अड़चन बाधा नहीं बनेगी। अतिरिक्त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) को मंजूरी मिलने की वजह से फंड की अड़चन दूर हो गई है, जिसके चलते अब एक साल में पूरी रफ्तार में सभी प्रॉजेक्टों में काम होगा। एक साल के अंदर हम सभी बायर्स को उनका घर तैयार करके दे सकेंगे।

जुलाई 2019 में आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स को NBCC के माध्यम से पूरा कराने की जिम्मेदारी कोर्ट रिसीवर को दी गई थी। तीन साल में 38 हजार फ्लैट तैयार करने थे लेकिन कोरोना की मार और फंड के समय पर उपलब्ध न होने की वजह से साढ़े चार साल में 16 हजार फ्लैट तैयार हो पाए हैं। बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से पिछले दिनों आम्रपाली के ग्रेटर नोएडा के पांच प्रोजेक्टों में अतिरिक्त एफएआर को मंजूरी मिल गई थी। अब करीब 13 हजार अतिरिक्त फ्लैट बनाकर एनबीसीसी बेच सकेगी।

कितना आएगा खर्च

इन 13 हजार फ्लैटों को बनाने में करीब 10 हजार करोड़ का खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि इनके बेचने पर करीब 16-18 हजार करोड़ तक फंड उपलब्ध हो सकेगा यानि कंस्ट्रक्शन कॉस्ट व अन्य खर्चों को निकालने के बाद भी करीब 5-7 हजार करोड़ का फंड बच सकेगा। इस फंड का इस्तेमाल इन अधूरे प्रॉजेक्टों को पूरा करने में किया जा सकेगा। शुरू में बैंकों से पैसा लिया जाएगा फिर नए फ्लैट बिकने के बाद जो पैसा आएगा उससे उससे बैंकों को लौटाया जाएगा। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी से जो अतिरिक्त एफएआर को लेकर मांग चल रही है वह भी जल्द ही मिलने की उम्मीद है। इन दोनों एफएआर के मिलने से फंड का रास्ता साफ होने का दावा किया जा रहा है।

बायर्स को नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

पिछले पांच साल में अभी तक 7 हजार बायर्स की रजिस्ट्री आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में हो सकी है। इनमें वे बायर्स भी हैं जो कि कोर्ट रिसीवर के पास प्रोजेक्ट जाने के पहले से अपने घरों में रह रहे हैं और वह भी हैं जिन्हें उसके बाद घर मिला है। 12 हजार बायर्स पहले से अपने घरों में रह रहे थे और 6 हजार को बाद में मिला है। इसकी रफ्तार धीमी होने की वजह से अब वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने का निर्णय लिया गया है। ऐसा होने पर लोगों को रिसीवर के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

बेहद धीमी ही फ्लैट हैडओवर होने की रफ्तार

पिछले साढ़े चार साल में एनबीसीसी ने 16 हजार फ्लैट तैयार करके कोर्ट रिसीवर को सौंप दिए हैं लेकिन इनमें मात्र 6 हजार फ्लैट की हैंडओवर हो पाए हैं। बाकी के 10 हजार तैयार होने के बाद भी हैंडओवर नहीं हुए हैं। बायर्स के आरोप हैं कि उनके मामलों में डिसीजन लेने में बहुत समय बर्बाद हो रहा है। जो विवादित मामले हैं उनमें भी डिसीजन लेने की एक डेडलाइन होनी चाहिए। बिना विवाद वाले मामलों में भी बायर्स परेशान हो रहे हैं। उनका डॉक्युमेंट वेरीफाई होने में टीम का आपसी कोऑर्डिनेशन न होना बड़ी बाधा बना हुआ है। ड्यूल अलॉटमेंट वाले मामलों में लोग सबसे ज्यादा प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। तमाम ऐसे बायर्स सामने आ रहे हैं जो कि 150-200 बार कोर्ट रिसीवर के दफ्तर जा चुके हैं लेकिन फिर भी उनके मामलों में डिसीजन नहीं लिया जा रहा। यही वजह है कि 10 हजार फ्लैटों का हैंडओवर तैयार होने के बाद भी नहीं हो पाया है।
 

jyoti choudhary

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