26 हजार के नीचे आ सकती हैं सोने की कीमतें

Friday, Dec 09, 2016 - 02:34 PM (IST)

नई दिल्लीः सोने की कीमतें घरेलू बाजार में 6 महीने के निचले स्तर पर हैं। नोटबंदी के बाद से देश में हुए कैश क्राइसिस की वजह से पूरे देश में सोने की डिमांड 80 फीसदी तक कम हो गई है। वहीं ग्लोबल शेयर बाजार में सुधार की वजह से भी सोने की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। कारोबारियों का कहना है कि सोने को लेकर ग्लोबल ट्रेंड में भारत का रोल बेहद अहम है। इस वजह से अगर कैश क्राइसिस आगे एक महीने भी रही तो सोने की कीमतें 26 हजार के नीचे जा सकती हैं। इसमें यूएस फेडरल रिजर्व का फैसला भी अहम होगा।   

3 महीने तक जारी रहेगा सुस्ती का दौर 
दरीबा बुलियन ज्वैलरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट तरुण खन्ना का कहना है कि सोने में अगले 3 महीने तक सुस्ती जारी रह सकती है और इस साल के पीक से सोना 15 फीसदी तक डाउन हो सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि मार्कीट में कैश का सुर्कलेशन है ही नहीं। लोगों के पास जब पैसे ही नहीं होंगे तो डिमांड कहां से आएगी। डिमांड कम होने से सोने की कीमतें और कम होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि आर.बी.आई. पॉलिसी से भी एेसे संकेत मिलते हैं कि आगे कुछ दिनों तक महंगाई कम रहेगी, 3 महीने बाद ही इस सेक्टर में सुधार होगा।

यह साल इस सेक्टर के लिए ठीक नहीं रहा 
डिमोनेटाइजेशन के बाद कैश की कमी आने से जहां बुलियन मार्कीट का करोबार 80 फीसदी तक गिर गया है, वहीं इस पूरे साल इस सेक्टर को नुकसान ही हुआ है। बजट में सरकार ने ज्वैलरी पर 1 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगा दी थी। इसके विरोध में कारोबारियों ने लंबे समय तक अपनी दुकानें बंद कर दी थीं। इससे कारोबार को करीब 18 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार इस साल के पहले 6 महीनों में सोने की डिमांड में 30 फीसदी की कमी आई।  

नोटबंदी के बाद से गोल्ड में 3040 रुपए की गिरावट 
- नोटबंदी के बाद से गोल्ड के दाम में 3040 रुपए प्रति 10 ग्राम तक की गिरावट आ चुकी है, जबकि चांदी की कीमत में 2250 रुपए की कमी आई है।
- 8 नवंबर को गोल्ड 31,750 रुपए प्रति 10 ग्राम पर था। वहीं, चांदी के भाव 8 नवंबर को 43850 रुपए प्रति किलो पर बंद हुए थे। 

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