छात्र को दी अवैध डिग्री, अब गोयन्का कालेज ऑफ फार्मेसी देगा मुआवजा

Saturday, Jan 20, 2018 - 10:25 AM (IST)

नई दिल्लीः शीर्ष उपभोक्ता शिकायत निपटारा आयोग का कहना है कि कुछ निजी कालेज गुमराह करने वाले विज्ञापनों से छात्रों को लुभा रहे हैं। आयोग ने राजस्थान के एक फार्मेसी इंस्टीच्यूट से एक बिना मान्यता वाले पाठ्यक्रम में प्रवेश देने और अवैध डिग्री प्रदान करने पर एक छात्र को 50,000 रुपए देने को कहा। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने राजस्थान के ‘गोयन्का कालेज ऑफ फार्मेसी’ से छात्र अनिल कमार कमावत के शुल्क वापस करने को कहा। आयोग ने संस्थान से मुआवजे के अलावा अदालती खर्चे के रूप में 5000 रुपए देने को कहा।

क्या है मामला
अनिल ने बताया कि उन्होंने 2006-07 में कालेज में एडमिशन लिया था, जहां उन्होंने 36,000 रुपए जमा किए थे, साथ ही 24,000 रुपए होस्टल फीस भी दी थी। 2009-10 में कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें मुम्बई की एक फार्मा कम्पनी में नौकरी भी मिली लेकिन नौकरी के दूसरे ही दिन उन्हें यह कहते हुए नौकरी से निकाल दिया गया कि उनकी डिग्री अवैध है और उनका कालेज फार्मेसी काऊंसिल ऑफ  इंडिया से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद भी उन्होंने कई कम्पनियों में आवेदन किया लेकिन कालेज के मान्यता प्राप्त न होने के कारण उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। छात्र के शिकायत दर्ज करने पर इस कालेज का कहना था कि उनकी गलती नहीं है क्योंकि ये सब जानते हुए इस छात्र द्वारा खुद संस्थान में प्रवेश लिया गया था। उनका दावा था कि उन्होंने फार्मेसी काऊंसिल ऑफ  इंडिया में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था लेकिन कुछ कारणों से यह लंबित पड़ा हुआ है।

यह कहा आयोग ने
पीठासीन अधिकारी बी.सी. गुप्ता और सदस्य एस.एम. कांतिकर की पीठ ने इस शिकायत को जायज माना और इस संस्थान से छात्र को फीस लौटाने और 50,000 रुपए मुआवजा देने को कहा। यही फैसला राज्य और राष्ट्रीय फोरम द्वारा भी कायम रखा गया। 
 

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