जीएम सरसों: कार्यकर्ताओं ने कहा जीईएसी की प्रक्रिया ‘निरर्थक’

Wednesday, Sep 07, 2016 - 12:15 PM (IST)

नई दिल्ली: कृषि में जीन संवर्धन (जीएम) प्रौद्योगिकी का विरोध कर रहे संगठनों ने देश के जैव प्रौद्योगिकी नियामक, जीईएसी द्वारा जीएम सरसों पर जोखिम आकलन रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के बाद आरोप लगाया है कि नियामक ने एक ‘निरर्थक’ प्रक्रिया अपनाई है। आकलन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जीए सरसों से जैव विविधता अथवा कृषि ‘इकोसिस्टम’ को कोई जोखिम नहीं है।  

 

अनुवांशिक अभियांत्रिकी आकलन समिति (जी.ई.ए.सी.) ने जीएम सरसों या जैव सुरक्षा के आंकड़ों के परीक्षण के लिए वैज्ञानिक विशेषज्ञों की एक उप समिति का गठन किया था। समिति द्वारा इसकी जांच करने के बाद कल इस रिपोर्ट को पर्यावरण मंत्रालय के वैबसाइट पर डाला गया तथा इस पर लोगों से 30 दिन के अंदर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है। उप समिति का मानना है कि जीन संवर्धित जीएम सरसारों की दोनों किस्में वरणा बीएन 3.6 और ईएच.2 एमआेडीबीएस 2.99 तथा संकर किस्म डीएमएच.11 बहुत कुछ गैर-जीएम और पारंपरिक सरसों के समान ही हैं तथा इसका उपभोग मानव एवं पशु स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित है।

 

रिपोर्ट में कहा गया है, "पर्यावरण के संदर्भ में उप समिति का मानना है कि संकर डीएमएच 11 की पैतृक कड़ी ’ को पर्यावरण में जारी करने से जैव विविधता और ‘कृषि पारिस्थितिकी’ पर खतरा नहीं है क्यों कि क्योंकि समीक्षागत जीई सामग्री का दूसरे जीवधारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता अथवा नगण्य प्रभाव पड़ता है।" दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘सेन्टर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स’ (सीजीएमसीपी) ने नई पीढ़ी के संकर बीजों के विकास के लिए संकर डीएमएच.11 के पर्यावरणीय रूप से जारी करने के लिहाज से जीईएसी की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।  

 

‘एलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर’ (आशा) ने पर्यावरण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अमिता प्रसाद को पत्र लिखा और मांग की कि अगर मंत्रालय पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके का बनाना चाहती है तो उसे पूरे के पूरे जैव सुरक्षा के आंकड़ों को सार्वजनिक करना चाहिए। 

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