सरकारी बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने पर वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

Thursday, Oct 26, 2017 - 04:23 PM (IST)

नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्ध कराने के भारत सरकार के फैसले पर विभिन्न वैश्विक रेटिंग एजेंसियों का अलग-अलग मत है। जहां स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) का मानना है कि इससे बैंकों को अपनी गैर-निष्पादित आस्तियों से निपटने में मदद मिलेगी। वहीं फिच का मत है कि इससे सरकार के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाना मुश्किल हो सकता है।

क्या कहना है रेटिंग एजेंसियों का
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स में ऋण साख के विश्लेषक अमित पांडे के मुताबिक सरकार के पूंजी डालने के प्रस्तावित कदम से बैंकों के खराब लेखाबही को सही करने में मदद मिलेगी जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बाधक बन रहा है। हमारा मानना है कि सरकार के प्रयासों से बैंकों को अपनी कारपोरेट गैर-निष्पादित आस्तियों में आवश्यक कटौती करने में मदद मिलेगी। एक अन्य रेटिंग एजेंसी फिच का मानना है कि पूंजी के लिए जारी किए जाने वाले बांड का अगर दो- तिहाई हिस्सा भी बिक जाता है तो सरकार के इस कदम से वित्त वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे को 3.2 फीसदी के लक्ष्य के भीतर रखना मुश्किल होगा। उल्लेखनीय है कि 2.11 लाख करोड़ रुपए की कुल राशि में से 1.35 लाख करोड़ रुपए  बॉंड जारी कर जुटाए जाने हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी यू.बी.एस. ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकारी बैंकों के पूंजीकरण कार्यक्रम से शेयर बाजारों में धारणा को मजबूत करने में मदद मिल सकती है साथ ही यह अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ईंधन का काम करेगा।  

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