कुपोषण के कारण हो रहा GDP का नुक्सान

Monday, Jan 22, 2018 - 04:27 AM (IST)

नई दिल्ली: उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि कुपोषण के कारण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) को 4 प्रतिशत का नुक्सान हो रहा है और वित्त मंत्री अरुण जेतली को आगामी बजट में महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ज्यादा आबंटन करना चाहिए। 

बाजार शोध एवं सलाह कंपनी ईवाई के साथ मिलकर तैयार एक शोधपत्र में संगठन ने यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के 50 प्रतिशत कुपोषित बच्चे भारत में हैं। साथ ही परिवार में महिलाओं और लड़कियों को सबसे अंत में खाना दिया जाता है जिससे उनके पोषण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। 

60 प्रतिशत बच्चे आयरन की कमी के शिकार 
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के हवाले से शोधपत्र में कहा गया है कि 6 से 59 महीने की उम्र के देश के 60 प्रतिशत बच्चे आयरन की कमी के शिकार हैं। मौजूदा सरकार ने महिलाओं एवं लड़कियों के लिए कई तरह के कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन इनके दायरे में आने वाली महिलाओं और लड़कियों की स्थिति भी पोषक आहार के मामले में कोई बहुत बेहतर नहीं है। पंद्रह से 49 साल की उम्र की 58 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं तथा 55 प्रतिशत दूसरी महिलाओं में आयरन की कमी है। शोध पत्र के अनुसार देश की बड़ी आबादी कुपोषित तथा असंतुलित आहार का सेवन करती है, चाहे वह पोषक तत्वों की कमी के कारण हो या उसकी अधिकता के कारण या फिर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो। यह समझना जरूरी है कि कुपोषण सिर्फ  भोजन की कमी से ही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, साफ-सफाई, संसाधनों तथा महिला सशक्तिकरण की कमी से भी होता है। 

उचित पोषण देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि बजट में सरकार का फोकस ऐसी नीतियों पर होना चाहिए जिनसे स्वास्थ्य एवं सामाजिक अंतरों को पाटा जा सके। उचित पोषण देश के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। शोधपत्र में कहा गया है कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विविध प्रकार के खाद्यान्नों के सेवन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उदाहरणार्थ, चावल या गेहूं की तुलना में बाजरे में ज्यादा प्रोटीन, खनिज तथा विटामिन होते हैं। इनमें विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, पोटाशियम, मैगनीशियम तथा जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

बजट में कुपोषण से निपटने के  लिए बड़ी घोषणा संभव 
बजट में कुपोषण से निपटने के लिए बड़ी घोषणा हो सकती है। सरकार छुट्टियों के दौरान भी कुपोषण से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में मिड-डे मील स्कीम जारी रखने की घोषणा कर सकती है। प्राथमिक शिक्षा के बजट में भी अच्छी बढ़ौतरी देखने को मिल सकती है। इस बजट में कुल शिक्षा बजट में 15 प्रतिशत बढ़ौतरी की उम्मीद है। 2017-18 में शिक्षा बजट करीब 80,000 करोड़ रुपए का था जिसके 2018-19 में 92,000 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है। आगामी बजट में स्कूलों के शिक्षा बजट में 12-14 प्रतिशत बढ़ौतरी की उम्मीद है। इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान के लिए ज्यादा आबंटन हो सकता है। सरकार का शिक्षा की क्वालिटी पर फोकस रहेगा। स्कूलों में इनोवेशन सेंटर पर ज्यादा पैसा खर्च होगा। स्कूलों के राष्ट्रीय एसेसमेंट योजना की घोषणा हो सकती है और सर्व शिक्षा अभियान का 40 फीसदी गुणवत्ता बढ़ाने पर आबंटित हो सकता है।

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