ये है देश के 4 करोड़पति किसान, किसी ने छोड़ी नौकरी तो कोई चलाता था दुकान

Saturday, May 13, 2017 - 11:17 AM (IST)

नई दिल्‍लीः देश के अन्नदाता किसान को लोग गरीब और बेबस समझते है, एग्रीकल्‍चर को अक्‍सर लोग फायदे का सौदा नहीं मानते हैं। लेकिन, इन सबके बीच आधुनिक तकनीकों का सहारा और नए तरीकों से खेती करने वाले किसान सफलता की नई कहानी बन रहे हैं। देश में एेसे चार किसान है जिनका नाम भारत के करोपड़पति किसानों में लिया जाता है। ये चारों किसान आज कांट्रेक्‍ट फार्मिंग को आधार बनाकर हर साल लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए में इनकम करते हैं।

परंपरागत खेती से की शुरआत
गुजरात के अमीरगढ़ ताललुका के रामपुर वदला गांव निवासी इस्‍माइलभाई रहीमभाई शेरू बीकॉम तक पढ़े थे। शुरुआत में माता पिता ने इनसे नौकरी कराना चाहा लेकिन, इनका मन अपनी खेती में ज्‍यादा रहा। परंपरागत खेती करते-करते शेरू लगभग 15 साल पहले मैक डोनाल्‍ड और फिर मैक केन जैसी कंपनियों के संपर्क में आए। इन कंपनियों के साथ कांट्रेक्‍ट कर शेरू ने उत्‍तम क्‍वालिटी के फ्रेंच फ्राइज और आलू टिक्‍की के लिए आलू उगाना शुरू कर दिया। इनकम की गारंटी के चलते ये दिनोंदिन आगे बढ़ते गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेरू भाई के पास आज 400 एकड़ कृषि भूमि है। जिसमें वे हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं।

खेती करने के लिए नौकरी छोड़ी
गुजरात राज्‍य में ही पार्थीभाई जेठभाई चौधरी गुजरात पुलिस में काम करते थे, लेकिन, लगभग 18 साल पहले उन्‍होंने अपनी खेती करने के लिए नौकरी छोड़ दी। बनासकांठा के दांतीवाड़ा में पानी की दिक्‍कत होती है लेकिन, इन्‍होंने अपने खेतों पर ड्रिप इरीगेशन और स्प्रिंकलर लगवाए जिससे वे हर साल 750 एम.एम. पानी चाहने वाले स्‍थान पर बहुत कम पानी में ही काम चलाते हैं। चौधरी का भी मैक केन के साथ आलू पैदा करने का ही कांट्रेक्‍ट है। चौधरी के खेतों में 2 किलोग्राम तक के आलू होते हैं जिन्‍हें वे हर साल निश्चित दर पर ही बेचते हैं। वर्तमान में उनके पास 87 एकड़ कृषि भूमि अपनी और इतनी ही किराए पर है। पिछले साल चौधरी ने 3.5 करोड़ रुपए के आलू बेचे थे।


 20 साल पहले चलाते थे चाय की दुकान
महाराष्‍ट्र के जलगांव के रहने वाले तेनु डोंगर बोरोले 63 साल के हो चुके हैं। करीब 20 साल पहले तक वे चाय बचेने का काम करते थे लेकिन, उस दौरान उन्‍हें किसी ने केले की खेती के बारे में जानकारी दी। उनके पास कुछ जमीन तो अपनी थी और कुछ उन्‍होंने किराए पर ले ली। इसके बाद उन्‍होंने इस पर केले की खेती शुरू कर दी। कुछ साल पहले ही उन्‍हें ग्रैंड नाइन वैराइटी के बारे में पता चला जिससे उनकी उपज 3 गुनी हो गई। बोरोले आज 100 एकड़ में खेती करते हैं।

प्राइमरी स्‍कूल की नौकरी छोड़ी 
जलगांव महाराष्‍ट्र के ही रहने वलो ओंकार चौधरी प्राइमरी स्‍कूल में टीचर थे। उन्‍होंने बोरोले के साथ साथ ही केले की खेती शुरू की थी। आज चौधरी भी 120 एकड़ में केले की खेती कर रहे हैं। उनका अमेरीका की एक कंपनी के साथ कांट्रेक्‍ट भी है जिसको वे हर साल निश्चित दर पर केला बेचते हैं। चौधरी की साल की इनकम भी करोडों रुपए में है। 


 

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