न्यूजीलैंड FTA के बाद अमेरिका पर भारत का बड़ा फोकस, ट्रेड डील एडवांस स्टेज में
punjabkesari.in Monday, Dec 22, 2025 - 04:49 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप देने के बाद भारत अब ग्लोबल ट्रेड फ्रंट पर पूरी तरह आक्रामक मूड में नजर आ रहा है। अगला बड़ा फोकस अब अमेरिका है। वॉशिंगटन के साथ ट्रेड डील को लेकर बातचीत तेज हो गई है और संकेत साफ हैं कि यह प्रक्रिया अब सिर्फ चर्चा तक सीमित नहीं रही। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के ताजा बयान से साफ हो गया है कि भारत–अमेरिका ट्रेड डील कागजों से निकलकर जमीन पर उतरने की दिशा में बढ़ रही है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या अमेरिका भारत का अगला बड़ा FTA पार्टनर बनेगा?
पीयूष गोयल ने भारत–अमेरिका ट्रेड डील पर बड़ा संकेत देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी है और द्विपक्षीय रिश्तों में तेजी से मजबूती आ रही है। नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि भारत खुद को ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। इससे पहले वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल भी कह चुके हैं कि भारत और अमेरिका के बीच शुरुआती फ्रेमवर्क डील लगभग तय होने के करीब है।
6 दौर की बातचीत पूरी
राजेश अग्रवाल के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच अब तक छह दौर की बातचीत हो चुकी है। इन बैठकों में बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) और ऊंचे टैरिफ को कम करने के लिए एक अंतरिम समझौते पर चर्चा हुई है। उम्मीद है कि इस प्रक्रिया से भारतीय निर्यात पर लगने वाले भारी टैरिफ में बड़ी राहत मिल सकती है।
रीजनल ट्रेड को मिलेगा नया बूस्ट
इस बीच भारत इंडो-पैसिफिक रीजन में भी अपनी आर्थिक मौजूदगी मजबूत कर रहा है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत–न्यूजीलैंड FTA से क्षेत्रीय व्यापार को नई रफ्तार मिलेगी। यह फाइव आइज देशों के साथ भारत का तीसरा FTA है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ ऐसे समझौते हो चुके हैं।
न्यूजीलैंड FTA से भारत को 100% मार्केट एक्सेस
न्यूजीलैंड के साथ हुए FTA के तहत भारत को 100 फीसदी मार्केट एक्सेस मिलेगा। इसके तहत IT, टूरिज्म, टेलीकॉम, कंस्ट्रक्शन और ऑडियो-विजुअल समेत 118 सर्विस सेक्टर खुलेंगे। दोनों देशों को उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा। फार्मा सेक्टर को भी बड़ा फायदा मिलने वाला है, क्योंकि दवाओं के लिए फास्ट-ट्रैक अप्रूवल और मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड्स की आपसी मान्यता पर सहमति बनी है।
