कर दायरा बढ़ाने, अनुपालन में सुधार पर सरकार का ध्यान: राजस्व सचिव

Sunday, Dec 30, 2018 - 02:23 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कर राजस्व की हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए वह कर अनुपालन को बेहतर बनाने और उन क्षेत्रों की पहचान कर रही है जो कि कर दायरे से बाहर रह गए हैं। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ईमानदारी से कर चुकाने वाले करदाताओं को परेशान नहीं किया जाये लेकिन जो लोग कर भुगतान में आनाकानी करते हैं या रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं उन्हें कर दायरे में लाया जाए।

पांडे ने कहा कि आयकर विभाग अगले एक वर्ष में कर मामलों की जांच के लिए अधिकारी-करदाता के बीच आमना-सामना हुए बिना ही आकलन करने की प्रणाली को लागू करेगा। इसका उद्देश्य प्रक्रिया को पूर्वाग्रह से मुक्त कराना है। जीडीपी में कर अनुपात बढ़ाने के लिए सरकार के कदम के बारे में पूछने पर पांडे ने कहा, 'इससे जुड़े दो मुद्दे हैं। एक में सरकार की नीति शामिल है जैसे कि जिन क्षेत्रों पर कर नहीं लगता है, उन्हें कर के दायरे में लाया जाना चाहिए। जबकि दूसरे में कर नियमों के अनुपालन में सुधार लाने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है।

अत: उन क्षेत्रों में जिन्हें कर के दायरे में लाने की गुजाइंश है और जहां बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के ऐसा किया जा सकता है, ऐसे क्षेत्रों की पहचान करनी होगी और उसके बाद हमें इस पर काम करना होगा। पिछले चार वर्षों में देश का जीडीपी- कर अनुपात 10 प्रतिशत से बढ़कर 11.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि वेतन भोगी श्रेणी तो अपने हिस्से का कर देते हैं लेकिन 'ज्यादातर अन्य क्षेत्रों' को कर भुगतान का अपना रिकॉर्ड बेहतर करने की जरूरत है। इसकी वजह से देश एक बेहतर कर अनुपालन वाले समाज की पहचान से दूर बना हुआ है।

पांडे ने कहा कि आकलन वर्ष 2018-19 में आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या बढ़कर 6 करोड़ से अधिक हो गई है। यह इससे पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि कर अनुपालन में सुधार, ईमानदार करदाताओं को सुविधा देने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) विभिन्न पहलों की योजना बना रहा है। जीएसटी को लेकर पांडे ने कहा कि यह कर चोरी को रोकने के हमारे प्राथमिक क्षेत्रों में से एक है क्योंकि इससे न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान होता है बल्कि उन कारोबारों की प्रतिस्पर्धा को कम करता है जो ईमानदारी से कर चुका रहे हैं। एक जुलाई 2017 से लागू जीएसटी में 1.16 करोड़ से अधिक इकाइयां पंजीकृत हुई हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल-नवंबर में मासिक आधार पर औसत जीएसटी संग्रह 97,100 करोड़ रुपए रहा। पिछले वित्त वर्ष में यह 89,100 करोड़ रुपए रहा था।

jyoti choudhary

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