नई चुनौतियों के लिए तैयार FMCG फर्में

Wednesday, Dec 06, 2017 - 01:12 PM (IST)

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लागू हुए 5 महीने से अधिक समय हो चुका है। उपभोक्ता सामान बनाने वाली कम्पनियां (एफ.एम.सी.जी.) अभी इसकी शुरूआती बाधाओं से उबर ही रही थीं कि उनके सामने नई चुनौतियां आ गई हैं। सबसे बड़ी चुनौती है मुनाफाखोरी रोकने का मुद्दा।

मुनाफाखोरी रोधी दिशा-निर्देशों का अभाव बड़ी चुनौती
सामान्य शब्दों में कहें तो इन नियमों का मकसद कम्पनियों को जी.एस.टी. से ज्यादा मुनाफा कमाने से रोकना है। जी.एस.टी. लागू होने से कुछ ही दिन पहले मुनाफाखोरी निरोधक प्रावधानों को जून में मंजूरी दी गई थी लेकिन आज तक यह बात साफ  नहीं है कि इसकी गणना कैसे होनी चाहिए। कुछ कम्पनियों का यही कहना है कि वे इस बारे में स्पष्ट व्यवस्था का इंतजार कर रही हैं ताकि यह साफ  हो सके कि मुनाफाखोरी क्या है और क्या नहीं। उनके इंतजार का कारण यह अटकल है कि इसके लिए कम्पनी आधारित दृष्टिकोण के बजाय उत्पाद आधारित दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। मुनाफाखोरी रोधी दिशा-निर्देशों का अभाव बड़ी चुनौती है। सरकार ने पिछले सप्ताह नौकरशाह बी.एन. शर्मा के नेतृत्व में मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित कर दिया है।

GST की दर में कमी का फायदा देना आसान
खेतान एंड कम्पनी के कार्यकारी निदेशक निहाल कोठारी ने भी मेनन की राय से सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘सवाल यह है कि इनपुट टैक्स क्रैडिट का फायदा उपभोक्ताओं को कैसे दिया जाएगा। सामान पर जी.एस.टी. की दर में कमी का फायदा उपभोक्ताओं को देना आसान है लेकिन इनपुट टैक्स क्रैडिट के मामले में ऐसा नहीं है।’’ उद्योग के सूत्रों का कहना है कि मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण इस महीने के मध्य तक दिशा-निर्देश जारी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि कम्पनियों ने शैंपू, डिटरजैंट, एयर फ्रैशनर और डियोड्रैंट जैसे उत्पादों की दर में हाल में की गई कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को दे दिया है। 
 

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