वित्त मंत्रालय ने बीमा कानूनों में संशोधनों के दिए कई प्रस्ताव

Monday, Dec 05, 2022 - 02:08 PM (IST)

नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय ने बीमा कानूनों में कई संशोधनों के प्रस्ताव दिए हैं। इनमें बीमा कंपनियों को एक समग्र लाइसेंस देने से लेकर उन्हें विभिन्न वित्तीय सेवाओं से जुड़ी योजनाओं को बेचने की अनुमति देने और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं पूर्णकालिक सदस्यों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। 

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के एक प्रस्ताव के अनुसार, बीमा कंपनियों को बीमा कारोबार के विविध खंडों में कारोबार करने की अनुमति दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि सामान्य बीमा, जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के कारोबार के लिए अब बीमा नियामक से अलग-अलग लाइसेंस की मांग किए बिना इसमें कारोबार करने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए शर्त यह होगी कि उनके पास नियामक द्वारा तय उचित न्यूनतम पूंजी हो। इसके लिए बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन की आवश्यकता होगी। 

अगर कोई आवेदक बीमा कारोबार की विभिन्न श्रेणियों और खंडों के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा करता है तब बीमा नियामक आवेदक का पंजीकरण बीमाकर्ता के रूप में कर सकता है और नियमों तथा शर्तों के आधार पर बीमा कारोबार के ऐसे वर्ग या उप-वर्गों के लिए पंजीकरण का प्रमाणपत्र दे सकता है। 

डीएफएस ने प्रस्तावित संशोधनों में कहा, 'अगर बीमाकर्ता एक से अधिक श्रेणी या उपवर्ग में बीमा कारोबार करता है तब उसे ऐसे प्रत्येक खंड या उप-श्रेणी की सभी प्राप्तियों और भुगतानों का एक अलग लेखा-जोखा रखना होगा जिसके नियम तय होंगे।’ ये प्रस्ताव इस हफ्ते की शुरुआत में जारी किए गए थे। विभाग ने 15 दिसंबर तक इस दस्तावेज पर टिप्पणी मांगी है।

बीमा कारोबार में जीवन बीमा, सामान्य बीमा कारोबार, स्वास्थ्य बीमा कारोबार या पुनर्बीमा कारोबार शामिल है। बीमा कारोबार के उप-वर्ग में आग से जुड़ी दुर्घटना, समुद्री और विविध सामान्य बीमा कारोबार, व्यक्तिगत दुर्घटना और यात्रा उपवर्ग में स्वास्थ्य बीमा कारोबार शामिल है। इसमें एक अन्य सुझाव यह था कि बीमा कंपनियों को अन्य वित्तीय सेवाओं से जुड़ी योजनाओं के कारोबार की अनुमति दी जानी चाहिए। यानी बीमा कंपनियां, म्युचुअल फंड भी बेच सकती हैं।

डीएफएस ने बीमा नियामक विकास अधिनियम, 1999 में कुछ संशोधनों का भी प्रस्ताव किया है ताकि पूर्णकालिक सदस्यों और अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र मौजूदा 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जा सके। इसने बीमा कंपनी स्थापित करने के लिए पूंजी से जुड़ी आवश्यकताओं को खत्म करने का भी प्रस्ताव दिया है।

मौजूदा नियमों के तहत, जीवन बीमा, सामान्य बीमा या स्वास्थ्य बीमा कारोबार करने के लिए 100 करोड़ रुपए की चुकता इक्विटी पूंजी की आवश्यकता होती है। पुनर्बीमा कारोबार के लिए 200 करोड़ रुपए की पूंजी की जरूरत है। ये प्रस्तावित संशोधन उन सिफारिशों का एक हिस्सा हैं, जिन्हें बीमा नियामक ने संसद के आगामी बजट सत्र से पहले सरकार को भेजा था।
 

jyoti choudhary

Advertising