देश के काजू निर्यात में गिरावट की आशंका

punjabkesari.in Wednesday, Feb 13, 2019 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत का काजू और उससे जुड़े उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष में 20 प्रतिशत गिरकर 4,800 करोड़ रुपए रह सकता है। इसकी वजह कम मात्रा में निर्यात है। उद्योग संगठन भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसीआई) ने यह बात कही। सीईपीसीआई ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तैयार उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और अधिक प्रोत्साहन देने की मांग की है।  

काजू निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन आरके भूदेस ने कहा, 'सरकार को वियतनाम जैसे देश से टूटे काजू का सस्ता आयात रोकने तथा देश को ऐसे गुणवत्ता विहीन उत्पादों का ‘डम्पिंग ग्राउण्ड’ बनने से रोकने के लिए काजू के आयात पर आयात शुल्क को मौजूदा 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना चाहिए।' काजू उद्योग के संरक्षण के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग कि उक्त कदम के अलावा देश के काजू प्रसंस्करणकर्ताओं को दिये जाने वाले निर्यात सहायता को मौजूदा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना चाहिये तो दूसरे देशों में 20 से 25 प्रतिशत के लगभग है।  

भूदेस ने कहा कि आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते के कारण काजू के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति है और भुने हुए काजू पर कोई आयात शुल्क नहीं है। इस नीतिगत खामियों को दुरुस्त करने की भी जरूरत है क्योंकि स्थानीय आयातक वियतनाम जैसे देश से टूटे हुए काजू को भूने काजू के नाम पर सस्ते दाम पर आयात करते हैं और यहां महंगे दामों पर यहां बेचते हैं। उन्होंने कहा कि बगैर प्रसंस्करण वाले काजू पर आयात शुल्क को शून्य किया जाना चाहिए जो मौजूदा समय में 2.5 प्रतिशत है। इसके अलावा वर्ष 2013 में निर्धारित किए गए न्यूनतम आयात मूल्य को संशोधित करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्ष 2013 के बाद से काजू की कीमत काफी बढ़ गई है। उन्होंने काजू पर न्यूनतम आयात मूल्य को 720 रुपए प्रति किलोग्राम (साबूत काजू के लिए) और 680 रुपए प्रति किलोग्राम (टूटे काजू के लिए) करने की मांग की है। मौजूदा समय में यह 400 रुपए और 288 रुपए प्रति किलोग्राम है। 

वर्ष 2000 तक काजू निर्यात के मामले में देश नंबर एक पर था लेकिन यह श्रम आधारित उद्योग होने की वजह से अधिक उत्पादन लागत के कारण आज पिछड़ कर दूसरे नंबर पर आ गया है। पहले स्थान पर वियतनाम है। जहां प्रसंस्करण का काम मशीन से होता है, जिससे लागत कम आती है। सीईपीसीआई दिल्ली में 13 से 15 फरवरी के दौरान तीन दिवसीय वैश्विक काजू सम्मेलन का छठा संस्करण ‘काजू इंडिया 2019’ आयोजित करने जा रहा है जिसका उद्घाटन केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु करेंगे। इस सम्मेलन में भारत को पुन: काजू उत्पादन और निर्यात के मामले में उसके गौरवशाली स्थान को दिलाने के लिए नीतिगत खामियों को दुरुस्त करने और काजू उद्योग के लिए जरुरी प्रोत्साहनों के बारे में विचार किया जाएगा। 


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jyoti choudhary

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