कोरोना की दूसरी लहर से घबराए लोगों ने बैंकों से धड़ाधड़ निकलवाए रुपए

Sunday, May 23, 2021 - 10:54 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्य सरकारों द्वारा की गई सख्ती और कर्फ्यू के बीच इस साल 7 मई को समाप्त हुए पखवाड़े में लोगों के पास मौजूद नकदी उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। आर.बी.आई. द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक लोगों के पास मौजूद नकदी में 35464 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 28.39 करोड़ रुपए हो गई है। पिछले साल मार्च में कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक देश में लोगों के पास मौजूद नकदी में 5.3 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।  आइए दो आसान सवालों के जवाबों में समझते हैं कि अर्थव्यवस्था में कितनी नकदी बढ़ी है और नकदी बढ़ने का कारण क्या हैः 

अर्थव्यवस्था में लोगों के पास कितनी नकदी बढ़ी है?
हालांकि देश में लोगों के पास मौजूद नकदी पिछले 14 महीने से बढ़ रही है लेकिन पिछले साल जुलाई के बाद कोरोना के मामलों में गिरावट दर्ज होने के बाद लोगों के पास मौजूद नकदी का प्रवाह कम होना शुरू हो गया था लेकिन इस साल फरवरी महीने में कोरोना के मामले में वृद्धि होने के बाद लोगों के पास मौजूद नकदी में वृद्धि हुई है। 1 मार्च से लेकर 7 मई के मध्य लोगों के पास मौजूद नकदी 1.04  लाख करोड़ रुपए बढ़ गई है। पिछले साल 1 मार्च और 19 जून के मध्य लोगों के पास मौजूद नकदी में 3.07 लाख करोड़ रुपए की जबरदस्त वृद्धि हुई थी। 

28 फरवरी 2020 को जारी आर.बी.आई. के आंकड़ों के मुताबिल अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह 22.55  लाख करोड़ रुपए था जो 18  जून को जारी रिपोर्ट के मुताबिक बढ़कर 25.62  लाख करोड़ रुपए हो गया था। पिछले साल देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के कारण लोगों ने दवाओं और अन्य आपात खचों के लिए ए.टी.एम्स से भारी मात्रा में नकदी निकलवाई थी जिस कारण अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह काफी बढ़ गया था। जबकि जुलाई और सितंबर के मध्य लोगों द्वारा बैंकों से निकलवाई गई नकदी में 22305 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई और अक्टूबर और नवंबर के महीनों में यह वृद्धि 33500 करोड़ रुपए रही हालांकि दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 के दो महीनों में लोगों द्वारा बैंकों से निकलवाई गई नकदी पर थोड़ा ब्रेक लगा और आम लोगों ने बैंकों से 33500 करोड़ रुपए निकलवाए। 

नवंबर 2016 में सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद अब तक अर्थव्यस्था में मौजूद नकदी में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 10.4 लाख करोड़ रुपए बढ़ चुकी है। नोटबंदी से पूर्व अर्थव्यवस्था में आम लोगों के पास 17.97 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी।

अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह क्यों बढ़ रहा है?
सामान्य तौर पर देखने में आता है कि आर्थिक अस्थिरता के माहौल में लोगों के पास मौजूद नकदी की मात्रा में वृद्धि होती है और देश में कोरोना की दूसरी लहर के कारण लोगों को आर्थिक अस्थिरता की चिंता सताने लगी थी। अप्रैल के पहले सप्ताह में देश में रोजाना कोरोना के 1 लाख मामले सामने आ रहे थे जो मई के पहले सप्ताह में बढ़ कर 4 लाख को पार कर गए। अस्थिरता के इस माहौल के बीच लोगों को संपूर्ण लॉकडाउन की चिंता सताने लगी तो उन्होंने बैंकों से पैसा निकाल कर अपने पास रखना शुरू कर दिया। 

इस बीच राज्य सरकारों ने रात्रि कर्फ्यू और अन्य सख्त कदम उठाए तो लोगों ने अपनी खान-पान की जरूरतों और दवाओं व अन्य आपातकालीन सेवाओं के लिए अपने पास नकदी रखने के लिए भी बैंकों से पैसे निकलवाए जिस कारण 7 मई को समाप्त हुए पखवाड़े के दौरान लोगों द्वारा भारी मात्रा में नकदी निकलवाने के आंकड़े सामने आ रहे हैं इसके अलावा कोरोना के कारण कई लोगों की नौकरियां चली गई  हैं और ऐसे लोग अपने पास पड़ी सेविंग का पैसा बैंकों से निकाल कर अपने रोजमर्रा के खर्चे चला रहे हैं। इस से भी अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ा है।

jyoti choudhary

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