दालों में मुनाफाखोरी पर नहीं लग रही लगाम, किसान झेल रहे हैं नुकसान

punjabkesari.in Saturday, Jan 07, 2017 - 10:22 AM (IST)

नई दिल्लीः खुदरा बाजार में दालों की कीमत घटी तो है, लेकिन उतनी नहीं जितनी थोक बाजार में कीमतें नीचे आई हैं। सच्चाई ये है कि दालों की थोक कीमत के मुकाबले खुदरा कीमत दोगुनी या कहीं-कहीं उससे भी ज्यादा है। और, हैरानी की बात ये है कि ना तो केंद्र सरकार और ना राज्य सरकारें दालों में हो रही मुनाफाखोरी पर लगाम लगा पा रही हैं।

दिल्ली-एनसीआर में दालों में रिटेल कारोबारियों की मुनाफाखोरी आपके होश उड़ा देगी। दरअसल, यहां थोक मंडी में जो दाल आज 45 रुपए किलो बिक रही है, वो आपको रिटेल स्टोर में 100 से 120 रुपए किलो से कम नहीं मिलेगी। दिल्ली की नया बाजार थोक मंडी में अरहर दाल 45 रुपए, उड़द दाल 55 रुपए और चना दाल 65 रुपए किलो बिक रही है। जबकि यही दालें खुदरा बाजार में 30 से 60 रुपए के मार्जिन पर बेची जा रही हैं। खुदरा बाजार में अरहर दाल 75-100 रुपए किलो, चना दाल 95-130 रुपए किलो और उड़द दाल 85-120 रुपए किलो बिक रही है। लेकिन खुदरा दुकानदार इस बात से इनकार करते हैं कि वो मुनाफाखोरी कर रहे हैं। बंपर पैदावार के चलते थोक में अरहर दाल एमएसपी के नीचे बिक रही है जिस वजह से किसान भी नुकसान झेलने पर मजबूर हैं।

ऐसेंशियल कमोडिटी एक्ट में बदलाव कर केंद्र ने राज्यों को निर्देश तो दिए कि वो खुदरा में हो रही मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए दालों के दाम पर सीमा तय करें। लेकिन डिमांड कम होने से चाहे राज्य हो या केंद्र सरकार, दोनों ही इस मुद्दे पर गंभीर नजर नहीं आ रही हैं।


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