Farmer Protest: कारोबारियों के लिए बिचोलिए शब्द पर भड़का CAIT

Sunday, Dec 27, 2020 - 01:06 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश के सबसे बड़े संगठन कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा कि किसानों से उनकी फसल खरीदने वाले बिचोलिए नहीं व्यापारी हैं। अगर देश में किसान को उसकी फसल का सही दाम नहीं मिलता है तो इसका दोष व्यापारियों के माथे उन्हें बिचोलिया कहकर नहीं मढ़ा जा सकता है। आज जिसे देखो वही किसानों के आंदोलन में व्यापारियों को बिचोलिया कहकर उन्हें बेइज्जत कर रहा है। इसे लेकर देशभर के व्यापारियों में खासी नाराज़गी है। वक्त आने पर सभी को जवाब दिया जाएगा। कैट का आरोुप है कि आज अगर 75 साल बाद भी खेती घाटे में हैं तो इसके लिए खराब कृषि व्यवस्था और सरकारी प्रशासन की व्यवस्थाएं हैं। 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बिचोलिए ख़त्म करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की जिनको बिचोलिया कहा जा रहा है ये वो व्यापारी हैं जो हर सूरत में देश के किसान की फसल को बिकाने में किसान की सहायता करते हैं। ये वो लोग हैं जब देश के बैंक और सरकारी व्यवस्था किसान की मदद करने में फेल हो जाती है तब ये लोग किसान को वित्तीय और अन्य सहायता देते हैं। ये वो लोग हैं जो किसान को बीज देने से लेकर उसके उत्पाद को आम उपभोक्ता तक अपनी सप्लाई चैन के द्वारा देशभर में पहुंचाते हैं। ऐसे लोगों को बिचोलिया कहना उनके साथ बेहद अन्याय और सरासर उनका अपमान करना है।

साफ हो कि कानून लागू होने के बाद बिचोलिया कौन होगा
प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की बहुत हो गया और अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि कृषि क़ानूनों के लागू होने के बाद अब बिचौलिए कौन और किस प्रकार के होंगे। इन संस्थानों में काम करने वाले मैनेजर, कलेक्शन सेंटर, सैंपलर, ग्रैडर, मज़दूर, सामान उठाने या लादने वाला और अन्य लोग क्या बिचोलिए नहीं होंगे? क्या उनको दिए जाने वाला पैसा या कमीशन या ब्रोकरेज ग्राहकों से वसूला नहीं जाएगा? क्या वो रक़म कृषि व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनेगी? क्या कोई दान में यह सब काम करेगा? व्यापारियों के प्रति हल्के शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। पूरा आर्थिक ढांचा व्यापारियों के ऊपर ही खड़ा है।
 

jyoti choudhary

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