हैंड टूल के लिए एक्सपोर्ट इन्सैंटिव दरकार

Tuesday, Jan 17, 2017 - 11:49 AM (IST)

लुधियाना: ‘बजट की बात पंजाब केसरी के साथ’ सीरीज में आज हम बात करेंगे हैंड टूल इंडस्ट्री की। पंजाब की हैंड टूल इंडस्ट्री ऐसा सैक्टर है जिसके उत्पादों का डंका पूरे विश्व में गूंजता है। पंजाब के जालंधर व लुधियाना में स्थापित हैंड टूल इंडस्ट्री की 300 मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां 1 लाख लोगों को रोजगार के साथ 1500 करोड़ का सालाना कारोबार करती है।

इन इकाइयों का 90 प्रतिशत व्यापार विदेशों में है इसलिए आगामी बजट में इन्हें मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेतली से निर्यात को प्रोत्साहन देने वाली आशाएं हैं।

मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर को प्रोत्साहित करने वाली हों नीतियां
केन्द्र सरकार मेक इन इंडिया का झंडा हाथों में लिए ट्रेडिंग को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां लागू कर रही है, जबकि सरकार को लाखों लोगों को रोजगार देने वाली मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे वैल्यू एडिड होते हुए व्यापार बढ़ेगा वहीं मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर बूस्ट होगा।
-जे.आर. सिंघल, ईस्टमैन कास्ट एंड फोर्ज

रॉ मैटीरियल के निर्यात पर लगे रोक
सरकार स्टील का रॉ मैटीरियल आयरनओर, बिल्ट, इंगट इत्यादि का निर्यात करते हुए स्वयं ही चाइनीज कम्पनियों को हमारे कम्पीटीशन के समर्थ बना रही है। वास्तव में आयरनओर जैसे रॉ मैटीरियल्स का निर्यात रोक घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ा सैकेंडरी स्टील निर्माता की मांग को पूरा कर देश में सस्ते स्टील की उपलब्धता करवानी चाहिए। इसी प्रकार उन्हीं फिनिश्ड गुड्स का आयात होना चाहिए जो भारत में नहीं बनती।     
-संजीव स्याल, प्राइमा इंडस्ट्रीज।

यूरोपियन नीतियों की तर्ज पर बनें नीतियां
यूरोप सरकार द्वारा अपनी मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों के बचाव हेतु लंबे समय तक चाइनीज उत्पादों के आयात पर 20 से 80 प्रतिशत तक एंटीडंपिंग ड्यूटी लगा रखी थी। इससे यूरोप की घरेलू इकाइयों को काफी प्रोत्साहन मिला परंतु भारत सरकार ट्रेडिंग एवं मैन्यूफैक्चरिंग की महत्वता में कन्फ्यूज हो रॉ मैटीरियल निर्यात करने जैसी पॉलिसियों को ही प्रोत्साहित करती प्रतीत हो रही है। सरकार को चाहिए कि वे भी यूरोप की तर्ज पर घरेलू उत्पादों के लिए सुरक्षित वातावरण कायम करे।
-राजदीप जैन, दीप टूल्स।

स्टील रैगुलेटरी कमेटी में व्यापारियों की हो प्रतिभागिता
ट्रेड व इंडस्ट्री की चिरलंबित मांग स्टील कीमतों में नियंत्रण हेतु स्टील रैगुलेटरी बनाए जाने की जरूरत है। इस मामले में सरकार ने 10 वर्ष पूर्व कमेटी गठित करने की घोषणा की परंतु आज तक न तो कमेटी बनी और न ही स्टील कीमतों पर नियंत्रण पाया जा सका। वहीं रैगुलेटरी कमेटी में व्यापारियों की प्रतिभागिता बढ़ानी चाहिए। 
-नरेश शर्मा, एच.आर. इंटरनैशनल

एम.आई.पी. व सेफ गार्ड ड्यूटी हटे
भारतीय सरकारी तंत्र को यह समझने की जरूरत है कि मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर हमेशा कच्चे माल का आयात करता है और ट्रेडिंग कम्पनियां फिनिश्ड गुड्स का। स्टील इंजीनियरिंग सैक्टर का रॉ मैटीरियल है वर्तमान नीतियों को भांपें तो सरकार मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर को स्वयं सस्ता माल उपलब्ध करवा नहीं रही और एम.आई.पी. एवं सेफ गार्ड ड्यूटी लगाकर स्टील इम्पोर्ट करने नहीं दे रही। ऐसे में मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की मार को कैसे झेल सकेगा।
-मुकेश घई, सिद्ध टूल्स

व्यापार के लिए 4 प्रतिशत हों ब्याज दरें
चाइना में स्टील के दाम बढऩे की तर्ज पर भारतीय बाजार में स्टील की कीमतें बढ़ सकती हैं तो हमारी सरकार चाइना द्वारा व्यापार को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों से सीख क्यों नहीं लेती। चाइना सरकार ने यूरोप बाजार में चाइनीज कम्पनियों के पैर जमाने के उद्देश्य से उन्हें 80 प्रतिशत तक सस्ता माल उत्पादन करने जैसी नीतियां बनाते हुए सहयोग दिया परंतु भारतीय सरकारी तंत्र निर्यात एवं नई मंडियों के विकास के लिए ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा रही। सरकार को चाहिए कि वह मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर को सशक्त बनाने के लिए 4 प्रतिशत पर कैपिटल उपलब्ध करवाए।
-ज्योति प्रकाश, विशाल टूल्स एंड फोर्जिंग प्रा.लि. 

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