अफोर्डेबल हाउसिंग और रेंटल हाउसिंग के तहत एक साल तक के लिए बढ़ी डेढ़ लाख रुपए तक की छूट

Monday, Feb 01, 2021 - 05:20 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोरोना से जूझती अर्थव्यवस्था में जब हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है तो इससे हाउसिंग सेक्टर भी अछूता नहीं है लेकिन बजट में हाउसिंग, खास कर अर्फोडेबल हाउसिंग के क्षेत्र में जो कदम उठाए गए हैं, उससे रियल एस्टेट सेक्टर उत्साहित है। इस क्षेत्र के लिए बजट में जिन उपायों की घोषणा की है, उसे संजीवनी की संज्ञा दी जा रही है। 

एनआरआई के रेजिडेसी लिमिट में बढ़ोतरी का मिलेगा लाभ
क्रेडाई के नेशनल चेयरमैन जक्षय शाह का कहना है कि एनआरआई के लिए अब अनिवासी भारतीयों के लिए रेजिडेंसी की सीमा 182 दिनों के बजाय 120 दिनों तक घटा दी गई है। इससे उन्हें अचल संपत्ति में अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही पांच लाख करोड़ की पूंजी के साथ इंफ्रा परियोजना के वित्तपोषण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फाइनेंसिंग इंस्टीट्यूशन की स्थापना से मेट्रो/राजमार्गों की नई परियोजनाओं के वित्तपोषण में आसानी होगी।

अर्थव्यवस्था को मिली है संजीवनी
हाउसिंग डॉट कॉम के ग्रूप सीईओ ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि इस समय प्रॉपर्टी की खरीद के लिए ग्राहकों के सेंटीमेंट में तेज सुधार हो रहा है। अब तो कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) लगने की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में बजट में होम लोन के ब्याज पर अतिरिक्त 1.5 लाख रुपए की टैक्स कटौती का लाभ 31 मार्च तक 2022 तक बढ़ाने का कदम हाउसिंग प्रॉपर्टी सेक्टर के लिए एक संजीवनी के रूप में कार्य करेगा। यह कदम कारगर साबित होगा, विशेष रूप से अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के लिए, जो आपूर्ति बढ़ाने के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए टैक्स हॉलिडे (Tax Holiday) को एक साल आगे बढ़ाने के निर्णय से भी लाभान्वित होगा।

रेंटल हाउसिंग को भी मिलेगा बढ़ावा
उनका कहना है कि रेंटल हाउसिंग (Rental Housing) के लिए वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाएं रियल एस्टेट (Real Estate) को बढ़ावा देने में मदद करेंगी और रेंटल हाउसिंग मार्केट में मौजूद दबाव के बहुत सारे बिंदुओं को कम करेगा। यह प्रवासी श्रमिकों को भी काफी हद तक मदद करेगा और महामारी से हुई वित्तीय कठिनाइयों (Financial Constrains) के दौरान महानगरों और अन्य बड़े शहरों में रहने में उनकी मदद करेगा। हालांकि, रियल एस्टेट इंडस्ट्री (Real Estate Industry) की लंबे समय से चली आ रही मांग, अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा का विस्तार करना ताकि बड़े मेट्रो शहरों में 45 लाख रुपए से अधिक कीमत के घरों को शामिल करना इस सेगमेंट के अंदर शामिल किया जाना, इसे बजट में जगह नहीं दी गई |
 

jyoti choudhary

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