रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने पर भी बच जाएंगे ग्राहकों को मिले मकान, IBBI ने दी राहत

Wednesday, Feb 14, 2024 - 12:09 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (IBBI) ने मकान खरीदारों को बड़ी राहत दी है। आईबीबीआई ने परिसमापन नियमों में संशोधन करते हुए कहा है कि रियल एस्टेट परियोजना में जमीन या मकान खरीदने वाले को संपत्ति पर कब्जा दे दिया जाता है तो उस संपत्ति को परिसमापन प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।

12 फरवरी को जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘धारा 36 की उप-धारा (4) के उपबंध (ई) के अनुसार कर्ज लेने वाली कंपनी ने अगर रियल एस्टेट परियोजना में ग्राहक को संपत्ति पर कब्जा दे दिया है तो उस संपत्ति को कर्जदार के परिसमापन में शामिल नहीं किया जाएगा।’ उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट नियमन प्राधिकरण के चेयरमैन रह चुके राजीव कुमार ने कहा, ‘नियामक का यह कदम मकान खरीदारों के हित में है। कई ऐसे मामले हैं जहां संपत्ति ऋणशोधन अक्षमता यानी इनसॉल्वेंसी में फंस गई और कब्जा नहीं मिला। आईबीबीआई को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।’

ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया नियामक ने 7 नवंबर, 2023 को जारी परामर्श पत्र में रियल एस्टेट से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में दिवालिया मामले में ज्यादा बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग परियोजना के लिए दिवालिया प्रक्रिया अपनाने की बात कही।

आईबीबीआई ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की भूमिका बढ़ाने की भी वकालत की है। इसके लिए समाधान प्रक्रिया में जाने वाली सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीकरण समाधान पेशेवरों द्वारा रियल एस्टेट नियामक के पास अनिवार्य रूप से कराने का प्रस्ताव है।

रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक कैपिटल ने कहा कि नए संशोधन से मकान खरीदारों को काफी राहत मिलेगी। एनारॉक कैपिटल में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च ऐंड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी) आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘इससे मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी और ऋणदाताओं की समिति में उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार भी होगा। समय के साथ दिवालिया प्रक्रिया में मुकदमे भी कम होंगे।’

रियल एस्टेट परियोजना पर अमिताभ कांत की अगुआई वाली समिति की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि आईबीसी में सुधार की जरूरत है ताकि रियल एस्टेट क्षेत्र की जटिलताओं का बेहतर तरीके से ध्यान रखा जा सके। रिपोर्ट में समाधान प्रक्रिया के दौरान जमीन, अपार्टमेंट या इमारत के आवंटियों को कब्जा और स्वामित्व दिए जाने का भी सुझाव दिया गया है। 12 फरवरी की अधिसूचना के जरिये आईबीबीआई ने परिसमापन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए 12 महत्त्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इनसे पारदर्शिता बढ़ेगी और परामर्श समिति को ज्यादा अधिकार मिलेंगे।

इसके तहत परिसमापक को निर्णय लेने से पहले प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श समिति से सलाह करनी होगी। उदाहरण के लिए रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता को बताना होगा कि मूल्यांकन के लिए उसने क्या तरीका अपनाया है। एक्विलॉ में एसोसिएट पार्टनर पीयूष अग्रवाल ने कहा, ‘इस अधिसूचना का उद्देश्य परामर्श समिति के अधिकार को और पुख्ता करना है।’

jyoti choudhary

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