खाद्य तेलों का आयात बढ़ने का अनुमान

Friday, Oct 20, 2017 - 01:26 PM (IST)

नई दिल्लीः वर्ष 2017-2018 (नवंबर-अक्टूबर) के आगामी तेल वर्ष के दौरान भारत की आयातित खाद्य तेल पर निर्भरता रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के आसार हैं। तिलहन की कम उपलब्धता और उपभोग में निरंतर वृद्धि को देखते हुए घरेलू स्रोतों से खाद्य तेल की उपलब्धता में कमी की संभावना है।

उद्योग की एक शीर्ष संस्था द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि 2017 में समाप्त होनी वाली 11 महीने की अवधि के दौरान 1.427 करोड़ टन वनस्पति तेल (98 प्रतिशत खाद्य और दो प्रतिशत अखाद्य) का आयात किया गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह आंकड़ा 1.357 करोड़ टन था। अक्टूबर में 12-13 लाख टन के और आयात से इस साल का आयात रिकॉर्ड 1.55 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। वर्ष 2017-2018 के तेल वर्ष के दौरान प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बाढ़ के कारण फसल बरबादी और कम बुआई ने सोयाबीन की फसल का आकार कम कर दिया है। सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल के 1.2 करोड़ टन के मुकाबले 90 लाख टन रहने का पूर्वानुमान है।

वर्ष 2016-17 में अधिकांश समय तिहलन के दाम सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे रहे और किसानों ने स्टॉक रोके रखा। अगस्त में आयात शुल्क में इजाफे के सरकारी फैसले के बाद उन्होंने दोबारा बिक्री शुरू की - खासतौर पर सोयाबीन की। सरकार ने रिफाइंड तेल के लिए आयात शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और कच्चे तेल के लिए 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया था। राजकोट स्थित जीजीएन रिसर्च का अनुमान है कि 2016-17 में भारत के 2.175 करोड़ टन उपभोग के मुकाबले घरेलू वनस्पति तेल का उत्पादन तकरीबन 90 लाख टन रहेगा। 

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