EPFO वालों को सरकार दे सकती है बड़ा तोहफा!

Monday, Jun 13, 2016 - 07:21 PM (IST)

नई दिल्ली: सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई.पी.एफ.आे.) आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान देने की अनुमति दे सकती है ताकि कर्मचारियों सेवा निवृत्ति के बाद अपेक्षाकृत और अधिक पेंशन का लाभ प्राप्त हो सके।   

 

फिलहाल मूल वेतन और महंगाई भत्ते को मिलाकर अधिकतम 15,000 रुपए मासिक वेतन पर पेंशन कोष के अंशदान की कटौती की जाती है, भले ही कर्मचारी का वेतन इससे उपर क्यों न हो। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त डा. वीपी जॉय ने कहा, ‘‘हम ई.पी.एस. 95 के तहत कर्मचारियों को योगदान देने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। ताकि उसे सेवानिवृत्ति के बाद अधिक लाभ मिल सके।’’   

 

उल्लेखनीय है कि ई.पी.एफ.आे. के दायरे में आने वाले कर्मचारियों मूल वेतन और डी.ए. के योग का 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि (ई.पी.एफ.) में जबकि नियोक्ता के 12 प्रतिशत योगदान में 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ई.पी.एस.) में जाता है। शेष ई.पी.एफ. में जुड़ जाता है। इसके अलावा मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत सरकार सब्सिडी के रूप में देती है। इससे पेंशन खाते में 15,000 रुपए मूल वेतन सीमा के साथ अधिकतम 1,424 रुपए मासिक जाता है।  

 

ई.पी.एफ.आे. न्यासी केंद्रीय न्यासी बोर्ड एक बार इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो कर्मचारी को पेंशन कोष (ई.पी.एस. 95) में नियोक्ता के अलावा योगदान देने का विकल्प होगा। अंशधारकों के वेतन में वृद्धि को देखते हुए पेंशन कोष में स्वैच्छिक योगदान के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि ई.पी.एस. 95 योजना के तहत मुद्रास्फीति से जुड़ी नहीं है, अत: सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन स्थिर बनी रहती है। अत: कर्मचारियों को पेंशन योजना में योगदान का विकल्प मिलना चाहिए।’’ 

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