कोविड-19 विनिर्माण के लिए लोगों को बड़े कदम उठाने को कर रहा प्रोत्साहित : भार्गव
Thursday, Aug 27, 2020 - 01:37 PM (IST)
नई दिल्ली: मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि कोविड-19 संकट ने देश में लोगों को बड़े पैमाने पर जागरुक किया है। उन्हें बताया है कि देश की अर्थव्यवस्था और विनिर्माण क्षेत्र की तेज वृद्धि के लिए कदम उठाने जरूरत है और मौलिक बदलाव करने का यही सही समय है। कंपनी की वार्षिक आम सभा में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए भार्गव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार को बढ़ाने में विनिर्माण क्षेत्र की अहम भूमिका है। भारत इसके लिए पिछले 70 साल से प्रयास कर रहा है लेकिन अपने इच्छित लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका है।
सोवियत संघ की आर्थिक नीति का कोई फायदा नही
इसकी बड़ी वजह आजादी के बाद सोवियत संघ की आर्थिक नीतियों को अपनाना रहा जिसने सही परिणाम नहीं दिए। भार्गव ने कहा पिछले पांच-छह साल में सरकार की नीतियों में कई बदलाव देखने को मिले हैं, जिन्होंने प्रतिस्पर्धी विनिर्माण के लिए कहीं अधिक अनुकूल माहौल बनाया है। मेरी पूरी समझ और जानकारी के हिसाब से सरकार अन्य कदमों को लेकर भी सचेत है जो भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रभावों के बावजूद ‘जैसा कि मैंने कहा कि हालात उम्मीद भरे हैं। मेरा मानना है कि इस महामारी ने देश के सभी लोगों के बीच बेहतर जागरुकता पैदा की है कि यही सही समय है अपने कामकाज के तरीकों में बड़े बदलाव करने का।
निवार्य बदलावों को समझें
यही समय है जब हमें कई गुना अधिक दर से आर्थिक वृद्धि करनी चाहिए, जिसका सीधा सा मतलब है कि विनिर्माण क्षेत्र में बहुत तेज वृद्धि। भार्गव ने कहा कि यह संभव है। इसके लिए सबसे पहली जरूरत देश में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि और रोजगार बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय सहमति होना है। इसके लिए कोई दो विचार नहीं हो सकते और इसलिए इस पर एक राष्ट्रीय आम सहमति होना चाहिए। उन्होंने कहा यदि ऐसा होता है तो इसके लिए जिन बदलावों की जरूरत है वह काफी आसान हो जाएंगे। वह बहुत तेजी से होंगे। इस बारे में मेरा दृष्टिकोण कहता है कि हमें अनिवार्य बदलावों को समझना चाहिए। सरकार की नीतियों में भाग लेना चाहिए और उसका समर्थन करना चाहिए। यह बदलाव लाकर हम देश को अधिक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण देश बना सकते हैं।
पुरानी नीतियों को ढोते रहे
भार्गव ने कहा कि विनिर्माण उद्योग की वृद्धि को लेकर शुरुआती दिक्कतें रहीं और इसकी वजह ‘हमारा सोवियत संघ की नीतियों को अपनाना या आर्थिक विकास का सोवियत संघ की नीतियों पर आधारित होना रहा। उस समय दुनिया के एक बड़े हिस्से को यह नीतियां आकर्षक लग रही थीं और हमने क्या किया, हमने उस वक्त इसकी ज्यादा वकालत कर रहे लोगों की सुनी। उन्होंने कहा समय के साथ पता चला कि इन नीतियों से इच्छित परिणाम नहीं मिल रहे। लेकिन हमारा दुर्भाग्य रहा कि हमने स्वयं को समय के साथ नहीं बदला और हम उन्हीं पुरानी नीतियों को ढोते रहे जो परिणाम देने में असफल रहीं।’
निवेश करने के बजाय देश में समाजवाद लाने के प्रयास
भार्गव ने कहा कि इन नीतियों ने विनिर्माण उद्योग को गैर-प्रतिस्पर्धी बनाया। इसकी वजह सरकार का लोगों और उद्योग की जरूरत के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों और बुनियादी ढांचे पर निवेश करने के बजाय देश में समाजवाद लाने के प्रयास करते रहना और विभिन्न तरह की सब्सिडी देना रहा। उन्होंने कहा कि सब्सिडी देने का मॉडल काफी लोकप्रिय रहा। यह एक लोकप्रियतावादी प्रयास रहा। लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि उत्पादन की लगात बढ़ती रही और यह हमारे गैर-प्रतिस्पर्धी होने के प्रमुख कारणों में से एक है।