ED की नजर HDFC की करोल बाग ब्रांच पर

Wednesday, Dec 14, 2016 - 02:03 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रदर्शन निदेशालय (ई.डी.) ने राजधानी दिल्ली के करोल बाग इलाके में स्थित एचडीएफसी बैंक की एक शाखा के करीब आधा दर्जन खातों में सर्वे कर 150 करोड़ की संदिग्ध रकम जमा होने का पता लगाया है। ईडी ने यह कार्रवाई बीते सप्ताह फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (एफ.आई.यू.) से जानकारी मिलने पर की थी। इनमें से कुछ खातों में 8 से 25 नवंबर के बीच 30 करोड़ रुपए हर खाते में जमा हुए और वहां से कुछ दूसरे लोगों को ट्रांसफर कर दिए गए। जिन खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है, उन पर 'एंट्री ऑपरेटर्स' होने का शक है।

क्या है 'एंट्री ऑपरेटर्स'
'एंट्री ऑपरेटर्स' का इस्तेमाल जांच एजेंसियां हवाला डीलर्स और शैल कंपनी चलाने वालों के लिए करती हैं। शैल कंपनी बनाने वाले लोग फर्जी पते पर बैंक अकाउंट खुलवाते हैं जिसके बाद इन अकाउंट्स में वे लोग अघोषित आय की बड़ी राशि कैश में जमा कराते हैं। इस राशि को वे कई खातों में ट्रांसफर करते हैं और फिर वहां से बेनिफिशरीज के खाते में रकम आती है।

ईडी द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी हो रही है तैयार
सर्वे के बारे में पूछे जाने पर एचडीएफसी बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमने कानून के मुताबिक एफआईयू को कुछ ट्रांजैक्शन की जानकारी दी थी, जिनके संबंध में पिछले सप्ताह उन्होंने (ईडी) हमसे जानकारी मांगी थी। हम ईडी द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी तैयार कर रहे हैं।'

जांच में जुटे अधिकारी
एक सूत्र ने बताया कि ईडी के अधिकारियों ने शुक्रवार को बैंक की ब्रांच पर सर्वे किए थे। इस दौरान उन्हें 100 करोड़ रुपए से अधिक की संदिग्ध रकम की जानकारी मिली। 8 से 25 नवंबर तक बैंक में 500 और 1000 रुपए के नोट में भारी रकम जमा हुई। अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि इसमें बैंक मैनेजर शामिल है या नहीं क्योंकि इतनी बड़ी रकम पहले बैंक में जमा हुई बाद में वह बैंक से दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी गई। नोटबंदी के दो सप्ताह के अंदर 100 करोड़ रुपए दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।

पहला शक ज्यूलर और बुलियन ट्रेडरों पर
ईडी ने तीन खातों में बेनिफिशरीज का पता लगा लिया है और अन्य का पता लगाने में जुटी है। इस मामले में पहला शक ज्यूलर और बुलियन ट्रेडरों पर है। अधिकारियों का मानना है कि मूल तौर पर इसका बेनिफिशरीज कोई दूसरा व्यक्ति हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि इस मामले की शुरुआती जांच में 'एंट्री ऑपरेटरों की भूमिका नजर आ रही है। शक है कि वह काले धन को सफेद बना रहे थे।'

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